मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


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Sunday, February 21, 2021

श्रीनगर गढ़वाल- 'आखर समिति ' ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (संदीप रावत )

"आखर समिति ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस "

श्रीनगर गढ़वाल - आखर समिति ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर शगुन वेडिंग प्वाइंट (यूनिटी स्क्वायरभवन) में कार्यक्रम आयोजित किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने मातृभाषा के पक्ष में, गढ़वाली को बढ़ावा देने एवं इस भाषा के विकास हेतु अपनी-अपनी बात रखी और इस बात पर जोर दिया कि - "आम जन को अपनी मातृभाषा के विकास व संरक्षण हेतु आगे आना ही होगा एवं नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा से जोड़ने का संकल्प लेना ही होगा ,क्योंकि हमारी मातृभाषा हमारी पहचान है और यह हमारी अस्मितता से जुड़ी है। "
    आखर समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत अथितियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं नवोदित कवयित्री कंचन पंवार द्वारा गढ़वाली सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ.विष्णुदत्त कुकरेती ने की। कार्यक्रम में प्रसिद्ध समाजसेवी व आन्दोलनकारी श्री अनिल स्वामी ,श्री डी. पी.खंडूड़ी ,डॉ0 अरुण कुकसाल, शिक्षक व रा. शि. संघ के पूर्व मण्डलीय महामंत्री श्री शिव सिंह नेगी विशिष्ट अथिति के रूप मे उपस्थित थे। श्रीमती आरती पुंडीर ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत किया।
    डॉ. अरुण कुकसाल ने कहा कि - "हमें मातृभाषा बचाने की पहल अपने घर से करनी होगी। साथ ही मातृभाषा के सम्बर्धन हेतु इस तरह के प्रयास बहुत आवश्यक हैं। "                कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.विष्णुदत्त कुकरेती  ने कहा कि - " अपनी मातृभाषा के संरक्षण एवं सम्बर्धन हेतु उसे अपने दैनिक जीवन में प्रयाेग करना होगा, सभी को इसे व्यवहार में लाना होगा । " श्री शिव सिंह नेगी ने कहा कि - "मातृभाषा के संरक्षण में संदीप रावत और आखर समिति के प्रयास व योगदान प्रेरणादायी हैं । गढ़वाली भाषा के संरक्षण एवं सम्बर्धन हेतु नई पीढ़ी को इससे जोड़ना होगा। "
     प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अनिल स्वामी ने इस अवसर पर कहा कि - " इस तरह के कार्य समाज के लिए प्रेरणादायी हैं।गढ़वाली भाषा के संरक्षण हेतु 'आखर ' का यह प्रयास प्रेरक व सराहनीय है। "
      श्रीकृष्ण उनियाल, श्री विजय मेवाड़, शगुन रेस्टोरेंट के श्री प्रमोद उनियाल , श्री अरुणेश मैठाणी, श्री कमलेश बडोनी, डॉ.सुभाष पांडेय , श्री विभोर बहुगुणा,
श्रीमती आरती पुण्डीर ,श्रीमती बबीता थपलियाल मैठाणी, श्रीमती रेखा चमोली, , श्रीमती अंशी कमल, श्रीमती अनिता काला, श्रीमती राधा मैंदोली, श्रीमती सायिनी उनियाल, कंचन पंवार, श्वेता पंवार आदि गणमान्य लोग शामिल थे।
       इस अवसर पर कार्यक्रम में गढ़वाली कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। साथ ही उपस्थिति समस्त अन्य अतिथियों ने भी अपने -अपने विचार गढ़वाली में रखे।
गढ़वाली भाषा-साहित्य के लिए समर्पित 'आखर 'समिति के अध्यक्ष संदीप रावत ने कहा कि - "आखर समिति उत्तराखण्ड मातृभाषा अभियान ' द्वारा उत्तराखण्ड की मातृभाषाओं के पक्ष में लगभग पिछले एक महीने से अलग-अलग क्षेत्र एवं अलग- अलग पेशे से जुड़े व्यक्तियों के वीडियो के माध्यम से भी सोशल मीडिया पर इस अभियान को चला रही है। इस अभियान की संकल्पना एवं विचार गुजरात सूरत में रहने वाले 'आखर 'के सक्रिय एवं वैचारिक सदस्य गीतेश नेगी की है। इस कार्यक्रम का मुख्य मकसद ये है कि - अपनी मातृभाषा के प्रति यहाँ का समाज जागरूक हो। "
     कार्यक्रम का संचालन आखर की सक्रिय सदस्य कवयित्री एवं मोटिवेशनल स्पीकर श्रीमती बविता थपलियाल ने किया। अंत मे 'आखर' के अध्यक्ष संदीप रावत ने उपस्थित सभी अथितियों का आभार व्यक्त किया।