*आपदा की सीख*
अमीर हो या गरीब
राजा हो या रंक ,
लड़ रहे हैं मिलके सब
" कोरोना" से जंग ।
ना, जात-पात का भेद काेई
ना ,राजनीति का रंग ,
गिरे, पड़े ,फिर हुए खड़े सब
दिखे 'एका ' के रंग ।
गंगा निर्मल हो रही
पवन बह रही मंद ,
दूर हो रही आज स्वयंम्
थी इनमें जो गंध ।
पशु-पक्षी भी कर रहे
अब ,विचरण स्वछ्न्द ,
सिखा रही ये 'आपदा '
फिर जीने के ढंग ।
मानव हैं बस! हम सभी
ना ,प्रभु के मानिन्द ,
नहीं है करना ,अब प्रकृति से
अति छेड़छाड़ ,छल-छन्द ।
'लालच' और 'ज़रूरत ' में
बस! अन्तर समझें हम ,
ना समझे,तो होगी ही
ये 'उछल-कूद ' सब बन्द ।
10/04/2020, © संदीप रावत
न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल ।
बहुत सुन्दर सर। सकारात्मक विचार । प्रणाम
ReplyDeleteबहुत सुंदर गुरूदेव ��
ReplyDeleteBahut Khub gurudev 🙏
ReplyDeleteआभार राकेश
ReplyDeleteआभार भट्ट जी
ReplyDeleteआभार भट्ट जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सर
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