मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


Friday, June 14, 2019

गढ़वाली रचना - देखी सक्दि त देखी ले

                  * देखी सक्दि त देखी ले *
मन कि आँख्यून अफुथैं अफूं देखी सक्दि त देखी ले
घुप अँध्यरा मा बि उज्याळु  देखी सक्दि त देखी ले  |

भितर  अपणू ल्वे   बगद  कै$न कब्बि नि देखी रे
भितर तेरा कतगा सक्या परेखी  सक्दि परेखी ले  |

फेल-पास से कुछ नि होंद  सबसे बड़ी करमों कि जात
हो आज मा तू भोळ अपणू  देखी  सक्दि  त देखी ले  |

अपणा हिस्सा को द्यू अफ्वीं यख बळण पड़द मेरा दिदा
कै$का  सारा कब   तै रैलू अफूं हिटीक त देखी ले  |

दुख कि घाण दिक्क -पराण जीवन का हिस्सा -किस्सा छन
हो पीड़ मा बि  आस देखी सक्दि छैयी त देखी ले  |
    
Copiright रचनाकार व कम्पोजर/गीतकार © संदीप  रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |
            

2 comments: