* देखी सक्दि त देखी ले *
मन कि आँख्यून अफुथैं अफूं देखी सक्दि त देखी ले
घुप अँध्यरा मा बि उज्याळु देखी सक्दि त देखी ले |
भितर अपणू ल्वे बगद कै$न कब्बि नि देखी रे
भितर तेरा कतगा सक्या परेखी सक्दि परेखी ले |
फेल-पास से कुछ नि होंद सबसे बड़ी करमों कि जात
हो आज मा तू भोळ अपणू देखी सक्दि त देखी ले |
अपणा हिस्सा को द्यू अफ्वीं यख बळण पड़द मेरा दिदा
कै$का सारा कब तै रैलू अफूं हिटीक त देखी ले |
दुख कि घाण दिक्क -पराण जीवन का हिस्सा -किस्सा छन
हो पीड़ मा बि आस देखी सक्दि छैयी त देखी ले |
Copiright रचनाकार व कम्पोजर/गीतकार © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |
भौत बढिया कविता संग्रह
ReplyDeleteधन्यवाद फरियादी जी
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