मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


Saturday, April 11, 2020

रचना - आपदा की सीख © संदीप रावत ,श्रीनगर गढ़वाल

*आपदा की सीख*

अमीर हो या गरीब
राजा हो या रंक  ,
लड़ रहे हैं मिलके सब
" कोरोना" से  जंग ।
                ना, जात-पात का भेद काेई
                ना ,राजनीति का रंग ,
                गिरे, पड़े ,फिर हुए खड़े सब
                दिखे 'एका ' के रंग ।
गंगा निर्मल हो रही
पवन बह रही  मंद ,
दूर हो रही आज स्वयंम्
थी इनमें जो गंध ।
                       पशु-पक्षी भी कर रहे
                       अब ,विचरण स्वछ्न्द ,
                        सिखा रही ये 'आपदा '
                        फिर जीने के ढंग ।
मानव हैं बस! हम सभी
ना ,प्रभु के मानिन्द ,
नहीं है करना ,अब प्रकृति से
अति छेड़छाड़ ,छल-छन्द ।
                              'लालच' और 'ज़रूरत ' में
                              बस! अन्तर समझें हम ,
                              ना समझे,तो होगी ही
                              ये 'उछल-कूद ' सब बन्द ।

10/04/2020,                       © संदीप रावत
                                    न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल  ।

 

Wednesday, April 1, 2020

इक महान विभूति छायि श्रीरामचरित मानस जना महाकाव्य को गढ़वाळि अनुवाद कन्न वळा अर 17 किताब्यूं का रचयिता वरिष्ठ साहित्यकार बचन सिंह नेगी जी ©संदीप रावत

  *उत्तराखण्ड कि इक महान विभूति अर गढ़वाळि भाषा -साहित्य मा अनुवाद विधा का पुरोधा  छायि श्रद्धेय  बचन सिंह नेगी जी*
    (जलम  04 नवम्बर 1932 - भग्यान 21मार्च 2020 )
           हिन्दी अर गढ़वाळि  का  सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार , धार्मिक ग्रन्थों कु गढ़वाळि मा अनुवाद कन्न वळा  जण्या -मण्या  अनुवादकर्ता श्री बचन सिंह नेगी का दिवंगत होण गढ़वाळि भाषा-साहित्य का वास्ता इन क्षति छ जै कि भरपै कब्बि नि कर्ये जै सकेंद  | तबियत भौत खराब होणा  वजौ से 12 मार्च 2020 बटि स्व.बचन सिंह नेगी जी देहरादून इक अस्पताल (वेड मेड अस्पताल ) मा  ICU मा छायि अर वखि  21 मार्च 2020 खुणी  राति लगभग 9.35 परैं वूं को स्वर्गवास ह्वे ग्ये छौे |  22 मार्च खुणी लॉक डाउन की वजौ से 23 मार्च खुणी वूं कि अंत्येष्टि हरिद्वार मा ह्वे | पिछला चार  साल बटि  वूं कि तबियत खराब  छै | य सूचना  वूं का सुपुत्र  डॉ. विनोद सिंह नेगी जीन् संदीप रावत ( अध्यक्ष -आखर समिति) तैं  द्ये छै  | सोशल मीडिया का माध्यम से श्रीनगर बटि संदीप रावत   द्वारा  य सूचना हौरि लोगूं अर साहित्यकारों तैं द्यिये ग्ये |
        एक तपस्वी कि तरौं श्रद्धेय श्री बचन सिंह नेगी जी चुपचाप सदानि अपणि साहित्य साधना कन्ना रैनि | वूंन  पाँच बड़ा-बड़ा  धार्मिक ग्रन्थों को  गढ़वाळि मा अनुवाद करी  अर अपणा  संसाधनों से प्रकाशित कैरिक गढ़वाळि भाषा-साहित्य मा अपणो  अमूल्य अर ऐतिहासिक योगदान द्ये | गढ़वाळि अनुवाद साहित्य मा स्व.बचन सिंह नेगी जी का योगदान तैं कबि बि  अर कै बि तरौं से नि बिसर्ये जै सकेंद | गढ़वाळि कवितौं परैं बि वूंन कलम चलै |
      वूं को अपणि मातृभाषा गढ़वाळि भाषा का प्रति भौत ही ज्यादा पिरेम  वूं द्वारा लिख्यीं यों पंक्तियों से सिद्ध होंद---

"वेद पुराण उपनिषद रामैण ,बिटि सारलीक तुलसीन मथे
अपणा अन्तर तैं सुख देणक ,अवधी मा मानस ग्रन्थ रचे  |
वे ग्रंथ कि भाव मैं क्या समझू ,या नन्हि च चोंच छ सागर मा
गढ़वाल भूमिम जन्म लिने स्यु कथा लिखणू गढ़वाळि हि मा ||"
                            --- बचन सिंह नेगी
               श्रीरामचरित मानस (गढ़वाली भाषा ) बटि

           वूंन श्रीरामचरित मानस,महाभारत ग्रन्थसार, बाल्मीकि रामायण भाग-1 व भाग-2,श्रीमद्भगवतगीता,  ब्रह्म -सूत्र(वेदान्त दर्शन) जना बड़ा-बड़ा  धार्मिक ग्रन्थों को  अनुवाद करी  | यो गढ़वाळि अनुवाद, गढ़वाली भाषा-साहित्य का वास्ता अनमोल धरोहर छन  | वाकै मा इना कालजयी महाकाव्यों  को गढ़वाळि मा अनुवाद कन्नौ वास्ता साधना चयेंद , तपस्या चयेंद,भौत ज्यादा टैम चैंद  | वूं कि 12 हौरि  पुस्तक   प्रकाशित छन अर  कुल मिलैकि वूंकि  17 (सत्रह) पुस्तक प्रकाशित छन |    
         श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी को जलम  04 नवम्बर 1932 मा जिला-  टिहरी , सारज्यूला पट्टी का  बागी गौं  (भागीरथी पुरम  का नजीक) मा   ह्वे  छौ अर वूं को  स्वर्गवास   21मार्च 2020 खुणी देहरादून मा ह्वे ग्ये | वूंका छ्वट्टा छौंद यानि बाळपन मा हि  बचन सिंह नेगी जी का  पिताजि को स्वर्गवास ह्वे ग्ये छौ | सन् 1950 मा प्रताप इण्टर कॉलेज (टिहरी) बटि वूंन इण्टर करि छौ | सन् 1952 मा डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून बटि बी.ए.करि अर साहित्य रत्न ,प्रयाग यानि इलाहाबाद बटि करी |  सरकारी नौकरी परैं वु सन् 1954 मा  कृषि विभाग मा श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी कि नियुक्ति ह्ले छै अर वु सन् 1990 मा जिला परिषद का  अपर मुख्य अधिकारी पद बटि रिटैर ह्वेनि  |
           गढ़वाळि भाषा-साहित्य तैं समर्पित  "आखर" समिति(श्रीनगर गढ़वाल) का वास्ता य गौरव कि बात रै कि- डॉ.गोविन्द चातक जी कि जयन्ती परैं (19 दिसम्बर 2019)गढ़वाळि साहित्य मा अपणो अमूल्य योगदान द्येणा वास्ता   स्व. बचन सिंह नेगी जी तैं श्री मोहन लाल नेगी जी दगड़ा *डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान- 2019* से सम्मानित करी छौ |  वूंकि तबियत खराब होणा वजौ से 19 दिसम्बर 2019 खुणी देहरादून का हिन्दी भवन मा आखर समिति द्वारा वीर्येयां ये  कार्यक्रम मा   श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी कि सुपुत्री निर्मला विष्ट जीन वूं को  सम्मान  ल्ये छौ | इन विभूतियों तैं सम्मानित कैरिक क्वी बि संस्था या समिति अफुतैं गौरवान्वित मैसूस कर्द अर इलैई एक  तरौं से "आखर" समिति बि इन विभूति तैं सम्मानित कैरिक अपणा आप सम्मानित ह्वे |  
         वूं तैं जो सम्मान मिला छा ,वो -
(1)सन्  2001 मा उत्तराखण्ड क्षत्रिय कल्याण समिति बटि  सम्मानित |
(2) सन् 2016 मा  "महानायक भक्त दर्शन सम्मान"  (काफल पाको  फाउंडेशन) |
(3) सन् 2007 मा राष्ट्रीय हिंदी परिषद ,मेरठ  द्वारा " हिन्दी गौरव सम्मान "
(4)  सन् 2019 मा  "डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान -2019 "(आखर समिति,श्रीनगर गढ़वाल) |
        वूं कि साहित्य साधना अर काम द्यखण से यो मैसूस होन्द कि - जै सम्मान अर पच्छ्याण का श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी हकदार छायि वो  वूं तैं अपणा राज्य अर गढ़वाळि भाषा- साहित्य विरादरी मा नि मिली | अर ! य बि आश्चर्य  कि बात छ पैलि बटि ज्वा जगा (देहरादूण)   साहित्यिक गतिविधियूं काे केन्द्र रायि  वखि इना महान  साहित्य साधक  गुमनाम रैनि |
             "आखर " समितिन्   श्री बचन सिंह नेगी जी का भग्यान( दिवंगत )होण परैं  वूं तैं सादर श्रद्धांजलि द्ये  अर वीं  घड़ी मा  वूं का शोक -संतप्त परिवार का प्रति संवेदना व्यक्त करी |   सब्या जगौं मा लॉकडाउन (कोरोना वाइरस द्वारा फैलण वळि महामारी का वजौ से) होण से   फोन कांफ्रेंस का जरिया इक  श्रद्धाजंली सभा को  आयोजन बि   पत्रकार/लेखक शीशपाल गुसाईं  (देहरादून) द्वारा कर्ये ग्ये  |  डॉ.अरुण कुकसाल (श्रीकोट/श्रीनगर )  ,साहित्यकार श्री महावीर रवांल्टा( अराकोट),  पत्रकार महिपाल सिंह नेगी (टिहरी ) ,वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेन्द्र कठैत (पौड़ी ) , युगवाणी के संजय कोठियाल , मैती आन्दोलन के पद्म श्री कल्याण सिंह रावत , संदीप रावत( आखर ,श्रीनगर) , श्री शूरवीर रावत (देहरादून ) , डॉ.सत्यानन्द बडोनी , श्री जय सिंह रावत , श्री चन्दन सिंह नेगी ,श्री चन्द्रदत्त सुयाल  द्वारा  ईं फोन कांफ्रेंस का माध्यम से स्व.बचन सिंह नेगी जी तैं श्रद्धांजलि द्यिये ग्ये |     
प्रकाशित पुस्तक--
                 पुस्तक.                            - प्रकाशन वर्ष
    1.  रामचरित मानस (गढ़वाली अनुवाद)-- 2001
    2.  बाल्मीकि रामैण (गढ़वाली भाषा )-- - 2008
    3.  श्रीमद् भगवत गीता (गढ़वाली भाषा अनुवाद)-2002
    4. ब्रह्म- सूत्र (गढ़वाली भाषा)-- 2009
     5. महाभारत ग्रन्थसार (गढ़वाली भाषा)- --2007
     6. गढ़वाली कविताएं ----2009
      7.गढ़गौरव महाराणी कर्णावती (गढ़वाली काव्य)- 2010
      8. प्रभा खंडकाव्य (हिंदी)--2001
      9.  गंगा का मायका (केदारखण्ड गढ़वाल- हिंदी गद्य )          --2002
      10. डूबता शहर टिहरी (उपन्यास)--2004
       11.आशा किरण (हिंदी काव्य) --- 2005
      12. वेद संहिताएं (सामान्य परिचय) ---2010
      13. मेरी कहानी --- 2009
      14. गढ़वाल के इतिहास पर कुछ लेख --2010
      15.  देवभूमि उत्तराखण्ड -- 2014
      16. भाव वीथिका (काव्य संग्रह ) --2005
       17. गद्य मंजूषा (गद्य रचनाएं ) --2009
    कुछ -कुछ साहित्य अब्बि बि अप्रकाशित  छ |
      महान साहित्य साधक  स्व. बचन सिंह नेगी जी तैं  शत-शत नमन  अर  विनम्र श्रद्धांजलि  |
                                               © संदीप रावत
                                  (न्यू डांग,श्रीनगर गढ़वाल )