भौत दुःखद --
* नि रैनि उत्तराखण्ड कि इक महान विभूति अर गढ़वाळि कथा साहित्य का कालजयी रचनाकार श्रद्धेय श्री मोहन लाल नेगी जी*
(जलम - 23 जनवरी 1930 , बेलग्राम, पट्टी- अठूर, टिहरी गढ़वाल , भग्यान - 26 अक्टूबर 2020 ,देहरादून)
गढ़वाळ्या जण्या- मण्या वरिष्ठतम कथाकार अर लेखक , टिहरी का वरिष्ठतम विद्वान अधिवक्ता श्री मोहन लाल नेगी जी देहरादून मा भग्यान ह्वे ग्येनि । श्री मोहन लाल नेगी जी को दिवंगत होण गढ़वाळि भाषा-साहित्या वास्ता इन क्षति छ जै कि भरपै कब्बि नि कर्ये जै सकेंद । अचणचक तबियत खराब होणा वजौ से 26 अक्टूबर 2020 खुणी वूं को देहरादून मा स्वर्गवास ह्वे ग्ये । मि तैं बि य सूचना देहरादून का वरिष्ठ साहित्यकार श्री शूरवीर रावत जीन द्ये ।
दस गढ़वाळि कथौं पैलो बड़ो ऐतिहासिक गढ़वाळि कथा संग्रै - "जोनि पर छापु किलै(1967)" , वां का बाद फिर गढ़वाळि कथा संग्रै "बुरांस की पीड़(1987)", गढ़वाळि उपन्यास- सुनैना(2012) द्येकि वूंन गढ़वाळि भाषा-साहित्य मा अपणो अमूल्य अर ऐतिहासिक योगदान द्ये । गढ़वाळि साहित्य मा स्व. मोहनलाल नेगी जी का ये योगदान तैं कबि बि अर कै बि तरौं से नि बिसर्ये जै सकेंद । यो गढ़वाली भाषा-साहित्यै अनमोल धरोहर छन । वूं को अपणि मातृभाषा गढ़वाळि भाषै प्रति भौत पिरेम छौ । नब्बे- इक्कानब्बे सालै उमर मा बि श्रद्धेय श्री मोहन लाल नेगी जी एक तपस्वी कि तरौं साहित्य साधना कन्ना रैनि ।
दस गढ़वाळि कथौं वूंन अंग्रेजी मा अनुवाद बि करी । वूं को " मध्य हिमालय की कहानियाँ "सन् 2000 मा प्रकाशित ह्वे । पिछला साल ही नब्बे सालै उमर मा वूंकि 408 पेजों किताब " यादों की गलियाँ " प्रकाशित ह्वे छै । वूं को " रामायण को गढ़वाळि गद्य अनुवाद" अब्बि अप्रकाशित छ । यां का दगड़ा-दगड़ि वु "हिंदी- गढ़वाली -अंग्रेजी "कि डिक्शनरी बि तैयार कर कन्ना छायि । गढ़वाळि कवितौं परैं बि वूंन कलम चलै छै।
सरल - सौम्य सुभौ वळा श्रद्धेय श्री मोहन लाल नेगी जी को आशीर्वाद हमुतैं अर "आखर " तैं सदानि मिली ।
गढ़वाळि भाषा-साहित्य तैं समर्पित "आखर" समिति(श्रीनगर गढ़वाल) का वास्ता य गौरव वळि बात छै कि "आखर "समितिन् डॉ.गोविन्द चातक जी कि जयन्ती परैं (19 दिसम्बर 2019)देहरादून का हिन्दी भवन मा अपणा वीर्येयां कार्यक्रम मा गढ़वाळि साहित्य मा अमूल्य योगदान द्येणा वास्ता श्री मोहन लाल नेगी जी तैं स्व. बचन सिंह नेगी जी दगड़ा *डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान- 2019* से सम्मानित करी । इन विभूति तैं सम्मानित कैरिक क्वी बि संस्था या समिति अफुतैं गौरवान्वित मैसूस कर्द अर इलैई एक तरौं से "आखर" समिति बि इन विभूति तैं सम्मानित कैरिक अपणा आप सम्मानित ह्वे छै। ये ही कार्यक्रम मा वूं कि 408 पेजों किताब " यादों की गलियाँ " को लोकार्पण बि ह्वे छौ |
स्व. मोहन लाल नेगी जी तैं यो सम्मान मिल्नी -
(1) सन् 1985 मा " जय श्री सम्मान " से सम्मानित ।
(2) सन् 2000 मा केदारखण्ड सांस्कृतिक सम्मान
(3) सन् 2007 मा हिंदी साहित्यिक सम्मान मेरठ,
(4) सन् 2010 मा श्रीदेव सुमन सांस्कृतिक सम्मान।
(5) सन् 2017 मा चिठ्ठी - पत्री सम्मान ।
(6) सन् 2019 मा "डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान -2019 "(आखर समिति,श्रीनगर गढ़वाल) ।
"आखर " समिति स्व. मोहन लाल नेगी जी का भग्यान( दिवंगत )होण परैं वूं तैं सादर श्रद्धांजलि द्येंद अर ईं घड़ी मा वूं का शोक -संतप्त परिवारा प्रति संवेदना व्यक्त कर्द।
महान साहित्य साधक स्व. मोहन लाल नेगी जी तैं शत-शत नमन अर विनम्र श्रद्धांजलि ।
© संदीप रावत
अध्यक्ष - आखर समिति
(न्यू डांग,श्रीनगर गढ़वाल )
मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-
Monday, October 26, 2020
नि रैनि उत्तराखण्ड कि इक महान विभूति अर गढ़वाळि कथा साहित्य का कालजयी रचनाकार श्रद्धेय श्री मोहन लाल नेगी जी*
Sunday, July 12, 2020
रचना - इना सूण © संदीप रावत,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल
इना सूण
इना सूण ,इना सूण , मेरा दिदा इना सूण
कख बोकणी छैयि सुद्दि अति गाण्यूं कि दूण ।
मनख्यात बिन मनखीन् चिफळि गिच्चि को क्या कन्न
मैनों बटि नह्ये- धुये ना हो बल सूट- बूट को क्या कन्न
भली नि लग्दि साग- भुज्जि- दाल- रैठो बिना लूण ।
अफुतैं भलि क्वे देख पैलि कर्मोन् अपणो भाग लेख
ईं दुनिया मा अफूं ही चलण सबसे पैलि अक्वेंक
ना छिरकौ तू सुद्दि -सुद्दि ,वचन-प्रवचनों कि स्यूण ।
नखरी छ्वीं-बत्थूंम किलै अच्छ्याणा धरीं तेरि मूण
मनै मैली चदरी हटौ ,भलि छ्वींयूं कि कम्बळि बूण
तू द्यवता ना बस मनखी छै ,ईं बात तैं भलि क्वे गूण ।
काल का गाल सब समायि जान्द एक दिन
करम रैयि जान्द बस अग्वाड़ि आन्द एक दिन
बहम -अहम छोड़ दे तू ,बिस्वासै चदरी भलि क्वे बूण ।
© संदीप रावत , न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल
Wednesday, April 1, 2020
इक महान विभूति छायि श्रीरामचरित मानस जना महाकाव्य को गढ़वाळि अनुवाद कन्न वळा अर 17 किताब्यूं का रचयिता वरिष्ठ साहित्यकार बचन सिंह नेगी जी ©संदीप रावत
*उत्तराखण्ड कि इक महान विभूति अर गढ़वाळि भाषा -साहित्य मा अनुवाद विधा का पुरोधा छायि श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी*
(जलम 04 नवम्बर 1932 - भग्यान 21मार्च 2020 )
हिन्दी अर गढ़वाळि का सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार , धार्मिक ग्रन्थों कु गढ़वाळि मा अनुवाद कन्न वळा जण्या -मण्या अनुवादकर्ता श्री बचन सिंह नेगी का दिवंगत होण गढ़वाळि भाषा-साहित्य का वास्ता इन क्षति छ जै कि भरपै कब्बि नि कर्ये जै सकेंद | तबियत भौत खराब होणा वजौ से 12 मार्च 2020 बटि स्व.बचन सिंह नेगी जी देहरादून इक अस्पताल (वेड मेड अस्पताल ) मा ICU मा छायि अर वखि 21 मार्च 2020 खुणी राति लगभग 9.35 परैं वूं को स्वर्गवास ह्वे ग्ये छौे | 22 मार्च खुणी लॉक डाउन की वजौ से 23 मार्च खुणी वूं कि अंत्येष्टि हरिद्वार मा ह्वे | पिछला चार साल बटि वूं कि तबियत खराब छै | य सूचना वूं का सुपुत्र डॉ. विनोद सिंह नेगी जीन् संदीप रावत ( अध्यक्ष -आखर समिति) तैं द्ये छै | सोशल मीडिया का माध्यम से श्रीनगर बटि संदीप रावत द्वारा य सूचना हौरि लोगूं अर साहित्यकारों तैं द्यिये ग्ये |
एक तपस्वी कि तरौं श्रद्धेय श्री बचन सिंह नेगी जी चुपचाप सदानि अपणि साहित्य साधना कन्ना रैनि | वूंन पाँच बड़ा-बड़ा धार्मिक ग्रन्थों को गढ़वाळि मा अनुवाद करी अर अपणा संसाधनों से प्रकाशित कैरिक गढ़वाळि भाषा-साहित्य मा अपणो अमूल्य अर ऐतिहासिक योगदान द्ये | गढ़वाळि अनुवाद साहित्य मा स्व.बचन सिंह नेगी जी का योगदान तैं कबि बि अर कै बि तरौं से नि बिसर्ये जै सकेंद | गढ़वाळि कवितौं परैं बि वूंन कलम चलै |
वूं को अपणि मातृभाषा गढ़वाळि भाषा का प्रति भौत ही ज्यादा पिरेम वूं द्वारा लिख्यीं यों पंक्तियों से सिद्ध होंद---
"वेद पुराण उपनिषद रामैण ,बिटि सारलीक तुलसीन मथे
अपणा अन्तर तैं सुख देणक ,अवधी मा मानस ग्रन्थ रचे |
वे ग्रंथ कि भाव मैं क्या समझू ,या नन्हि च चोंच छ सागर मा
गढ़वाल भूमिम जन्म लिने स्यु कथा लिखणू गढ़वाळि हि मा ||"
--- बचन सिंह नेगी
श्रीरामचरित मानस (गढ़वाली भाषा ) बटि
वूंन श्रीरामचरित मानस,महाभारत ग्रन्थसार, बाल्मीकि रामायण भाग-1 व भाग-2,श्रीमद्भगवतगीता, ब्रह्म -सूत्र(वेदान्त दर्शन) जना बड़ा-बड़ा धार्मिक ग्रन्थों को अनुवाद करी | यो गढ़वाळि अनुवाद, गढ़वाली भाषा-साहित्य का वास्ता अनमोल धरोहर छन | वाकै मा इना कालजयी महाकाव्यों को गढ़वाळि मा अनुवाद कन्नौ वास्ता साधना चयेंद , तपस्या चयेंद,भौत ज्यादा टैम चैंद | वूं कि 12 हौरि पुस्तक प्रकाशित छन अर कुल मिलैकि वूंकि 17 (सत्रह) पुस्तक प्रकाशित छन |
श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी को जलम 04 नवम्बर 1932 मा जिला- टिहरी , सारज्यूला पट्टी का बागी गौं (भागीरथी पुरम का नजीक) मा ह्वे छौ अर वूं को स्वर्गवास 21मार्च 2020 खुणी देहरादून मा ह्वे ग्ये | वूंका छ्वट्टा छौंद यानि बाळपन मा हि बचन सिंह नेगी जी का पिताजि को स्वर्गवास ह्वे ग्ये छौ | सन् 1950 मा प्रताप इण्टर कॉलेज (टिहरी) बटि वूंन इण्टर करि छौ | सन् 1952 मा डी.ए.वी. कॉलेज देहरादून बटि बी.ए.करि अर साहित्य रत्न ,प्रयाग यानि इलाहाबाद बटि करी | सरकारी नौकरी परैं वु सन् 1954 मा कृषि विभाग मा श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी कि नियुक्ति ह्ले छै अर वु सन् 1990 मा जिला परिषद का अपर मुख्य अधिकारी पद बटि रिटैर ह्वेनि |
गढ़वाळि भाषा-साहित्य तैं समर्पित "आखर" समिति(श्रीनगर गढ़वाल) का वास्ता य गौरव कि बात रै कि- डॉ.गोविन्द चातक जी कि जयन्ती परैं (19 दिसम्बर 2019)गढ़वाळि साहित्य मा अपणो अमूल्य योगदान द्येणा वास्ता स्व. बचन सिंह नेगी जी तैं श्री मोहन लाल नेगी जी दगड़ा *डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान- 2019* से सम्मानित करी छौ | वूंकि तबियत खराब होणा वजौ से 19 दिसम्बर 2019 खुणी देहरादून का हिन्दी भवन मा आखर समिति द्वारा वीर्येयां ये कार्यक्रम मा श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी कि सुपुत्री निर्मला विष्ट जीन वूं को सम्मान ल्ये छौ | इन विभूतियों तैं सम्मानित कैरिक क्वी बि संस्था या समिति अफुतैं गौरवान्वित मैसूस कर्द अर इलैई एक तरौं से "आखर" समिति बि इन विभूति तैं सम्मानित कैरिक अपणा आप सम्मानित ह्वे |
वूं तैं जो सम्मान मिला छा ,वो -
(1)सन् 2001 मा उत्तराखण्ड क्षत्रिय कल्याण समिति बटि सम्मानित |
(2) सन् 2016 मा "महानायक भक्त दर्शन सम्मान" (काफल पाको फाउंडेशन) |
(3) सन् 2007 मा राष्ट्रीय हिंदी परिषद ,मेरठ द्वारा " हिन्दी गौरव सम्मान "
(4) सन् 2019 मा "डॉ.गोविन्द चातक स्मृति आखर साहित्य सम्मान -2019 "(आखर समिति,श्रीनगर गढ़वाल) |
वूं कि साहित्य साधना अर काम द्यखण से यो मैसूस होन्द कि - जै सम्मान अर पच्छ्याण का श्रद्धेय बचन सिंह नेगी जी हकदार छायि वो वूं तैं अपणा राज्य अर गढ़वाळि भाषा- साहित्य विरादरी मा नि मिली | अर ! य बि आश्चर्य कि बात छ पैलि बटि ज्वा जगा (देहरादूण) साहित्यिक गतिविधियूं काे केन्द्र रायि वखि इना महान साहित्य साधक गुमनाम रैनि |
"आखर " समितिन् श्री बचन सिंह नेगी जी का भग्यान( दिवंगत )होण परैं वूं तैं सादर श्रद्धांजलि द्ये अर वीं घड़ी मा वूं का शोक -संतप्त परिवार का प्रति संवेदना व्यक्त करी | सब्या जगौं मा लॉकडाउन (कोरोना वाइरस द्वारा फैलण वळि महामारी का वजौ से) होण से फोन कांफ्रेंस का जरिया इक श्रद्धाजंली सभा को आयोजन बि पत्रकार/लेखक शीशपाल गुसाईं (देहरादून) द्वारा कर्ये ग्ये | डॉ.अरुण कुकसाल (श्रीकोट/श्रीनगर ) ,साहित्यकार श्री महावीर रवांल्टा( अराकोट), पत्रकार महिपाल सिंह नेगी (टिहरी ) ,वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेन्द्र कठैत (पौड़ी ) , युगवाणी के संजय कोठियाल , मैती आन्दोलन के पद्म श्री कल्याण सिंह रावत , संदीप रावत( आखर ,श्रीनगर) , श्री शूरवीर रावत (देहरादून ) , डॉ.सत्यानन्द बडोनी , श्री जय सिंह रावत , श्री चन्दन सिंह नेगी ,श्री चन्द्रदत्त सुयाल द्वारा ईं फोन कांफ्रेंस का माध्यम से स्व.बचन सिंह नेगी जी तैं श्रद्धांजलि द्यिये ग्ये |
प्रकाशित पुस्तक--
पुस्तक. - प्रकाशन वर्ष
1. रामचरित मानस (गढ़वाली अनुवाद)-- 2001
2. बाल्मीकि रामैण (गढ़वाली भाषा )-- - 2008
3. श्रीमद् भगवत गीता (गढ़वाली भाषा अनुवाद)-2002
4. ब्रह्म- सूत्र (गढ़वाली भाषा)-- 2009
5. महाभारत ग्रन्थसार (गढ़वाली भाषा)- --2007
6. गढ़वाली कविताएं ----2009
7.गढ़गौरव महाराणी कर्णावती (गढ़वाली काव्य)- 2010
8. प्रभा खंडकाव्य (हिंदी)--2001
9. गंगा का मायका (केदारखण्ड गढ़वाल- हिंदी गद्य ) --2002
10. डूबता शहर टिहरी (उपन्यास)--2004
11.आशा किरण (हिंदी काव्य) --- 2005
12. वेद संहिताएं (सामान्य परिचय) ---2010
13. मेरी कहानी --- 2009
14. गढ़वाल के इतिहास पर कुछ लेख --2010
15. देवभूमि उत्तराखण्ड -- 2014
16. भाव वीथिका (काव्य संग्रह ) --2005
17. गद्य मंजूषा (गद्य रचनाएं ) --2009
कुछ -कुछ साहित्य अब्बि बि अप्रकाशित छ |
महान साहित्य साधक स्व. बचन सिंह नेगी जी तैं शत-शत नमन अर विनम्र श्रद्धांजलि |
© संदीप रावत
(न्यू डांग,श्रीनगर गढ़वाल )