मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


Saturday, July 18, 2020

कविता - प्लास्टिक का फूल रे !©संदीप रावत ,श्रीनगर गढ़वाल

प्लास्टिक का फूल रे !
****************
भलो दिख्येंदि भैर-भैर
रंगीलो , हाइ-फाइ , दन ,
पण! कख रंगै सकदि तू
कैकु बि मन ?
कब दे सकदि हव्वा तैं
जरा-सी बि गन्ध ?
प्लास्टिक का फूल रे !
तेरी कानि सदानि काणी
ना तेरी जैड़, ना क्वी धरती,
ना खाद-पाणी !
 
18/07/2020                © संदीप रावत ,
                                  न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल

Sunday, July 12, 2020

रचना - इना सूण © संदीप रावत,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल

                        इना सूण

इना सूण  ,इना सूण , मेरा दिदा इना सूण
कख बोकणी छैयि सुद्दि अति गाण्यूं कि दूण  ।

मनख्यात बिन मनखीन् चिफळि गिच्चि को क्या कन्न
मैनों बटि नह्ये- धुये ना हो बल सूट- बूट को क्या कन्न
भली नि लग्दि साग- भुज्जि- दाल- रैठो बिना लूण    ।

अफुतैं भलि क्वे देख पैलि कर्मोन् अपणो भाग लेख
ईं दुनिया मा अफूं ही चलण  सबसे पैलि  अक्वेंक 
  ना छिरकौ तू सुद्दि -सुद्दि ,वचन-प्रवचनों कि स्यूण  ।

नखरी छ्वीं-बत्थूंम किलै अच्छ्याणा धरीं तेरि मूण
मनै मैली चदरी हटौ ,भलि छ्वींयूं कि कम्बळि बूण
तू द्यवता ना बस मनखी छै ,ईं बात तैं भलि क्वे गूण  ।

काल का गाल  सब समायि जान्द एक दिन
करम रैयि जान्द  बस अग्वाड़ि आन्द एक दिन 
बहम -अहम छोड़ दे तू ,बिस्वासै चदरी भलि क्वे बूण  ।
              
             © संदीप रावत , न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल