प्लास्टिक का फूल रे !
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भलो दिख्येंदि भैर-भैर
रंगीलो , हाइ-फाइ , दन ,
पण! कख रंगै सकदि तू
कैकु बि मन ?
कब दे सकदि हव्वा तैं
जरा-सी बि गन्ध ?
प्लास्टिक का फूल रे !
तेरी कानि सदानि काणी
ना तेरी जैड़, ना क्वी धरती,
ना खाद-पाणी !
18/07/2020 © संदीप रावत ,
न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल
बहुत सटीक।
ReplyDeleteनकली फूल नकली सत्कार।
हार्दिक धन्यवाद
Deleteसुन्दर कविता
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