" लोग "
झूटी- सच्ची बुज्याड़ि जिकुड़ी धरदन लोग
मुखड़ी देखी सामणि टुकड़ी डलदन लोग ।
हुणत्यळि डाळी का मौळंदा पात देखीक
झट्ट जलड़ौंम छांछ संग्ती डलदन लोग ।
दूधौ-दूध , पाण्यो- पाणि द्यिख्येंद सब्यूं
पिछनै बाघ सामणि बिराळि बणदन लोग ।
सब्बि जगौं क्वी बण्यां रौंदन भौत पर्वाण
हैंका तैकम झट्ट पक्वड़ी तलदन लोग ।
जणदा नी बल मंत्र द्येखा बिच्छी को
सर्प द्वलणी हत्थ फिर्बी कुचदन लोग।
मिल्द जब हे स्याळ ददा वळो पट्टा "संदीप "
अफ्वी औतारी अफ्वी पुजारी बणदन लोग।
© संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल
भौत ही सुंदर कविता
ReplyDeleteस्वारत की दुन्या की सचै बयां करदी