मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


Monday, November 7, 2022

आखर ट्रस्ट के तत्वाधान में आधुनिक भाषा विभाग के प्रो. सुरेश ममगाईं जी द्वारा लिखित पुस्तक     (गढ़वाल:इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य ) लोकार्पित -संदीप रावत, श्रीनगर गढ़वाल।

श्रीनगर गढ़वाल -

       "आखर चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में सम्पन्न हुआ  प्रो. सुरेश ममगाईं जी द्वारा लिखित पुस्तक     (गढ़वाल:इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य )का लोकार्पण "
         06 नवम्बर 2022 को राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी के आधुनिक भाषा विभाग के प्रो. सुरेश ममगाईं जी की महत्वपूर्ण पुस्तक 'गढ़वाल-इतिहास, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य ' का लोकार्पण स्क्वायर यूनिटी भवन (अंजलि मेडिकल स्टोर भवन )में स्थित 'शगुन रेस्टोरेंट 'में  मंचासीन मुख्य अतिथि हे.न. ब. गढ़वाल विश्वविद्यालय की हिंदी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष  प्रो. उमा मैठाणी (अवकाश प्राप्त)जी , कार्यक्रम अध्यक्ष हे.न. ब. गढ़वाल केंद्रीय विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल के राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एम. एम. सेमवाल जी , विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध लेखिका एवं कवयित्री डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री ' जी,राजकीय महाविद्यालय जयहरीखाल से आए अतिथि वक़्ता डॉ. उमेश ध्यानी जी की  गरिमामयी उपस्थिति में हुआ।यह लोकार्पण कार्यक्रम 'आखर ट्रस्ट 'के तत्वाधान में सम्पन्न हुआ।
         अथितियों के स्वागत एवं दीप प्रज्वलन  के पश्चात कवयित्री श्रीमती राधा मैंदोली द्वारा सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गई। ट्रस्ट के सदस्य राकेश जिर्वाण 'हंस' द्वारा लोकर्पित पुस्तक के लेखक  प्रो. सुरेश ममगाईं जी का जीवन परिचय,शोध कार्य और रचनाकर्म सभी के सम्मुख रखा।कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं गढ़वाल  केंद्रीय विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के डॉ. नागेंद्र रावत ने किया।  मुख्य अतिथि प्रो. उमा मैठाणी ने इस पुस्तक को बहुत महत्वपूर्ण बताया और साथ ही कहा कि-' यह एक महत्वपूर्ण शोध कार्य है और गढ़वाल के इतिहास एवं संस्कृति को साथ लेकर गढ़वाली भाषा -साहित्य की पूर्ण विवेचना पुस्तक में की गई है।'
    कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. एम. एम. सेमवाल ने इस अवसर पर कहा कि - 'गढ़वाल की संस्कृति, इतिहास, गढ़वाली भाषा के इतिहास एवं साहित्य को एक ही पुस्तक में समवेत स्थान देना एक महत्वपूर्ण कार्य है।साथ ही कहा कि - प्रो. सुरेश ममगाईं अभी भी  महत्वपूर्ण शोध कार्यों पर लगे हुए हैं। लेखक ने इस पुस्तक में गढ़वाल और उसके सीमावर्ती क्षेत्रों की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास की सप्रामाणिक विवेचना की है।'
     इस पुस्तक की  विवेचना करते हुए ट्रस्ट के  अध्यक्ष संदीप रावत ने कहा कि -'इस पुस्तक के अध्ययन के पश्चात गढ़वाल एवं गढ़वाली भाषा -साहित्य के विविध महत्वपूर्ण पक्ष उभरकर सामने आते हैं।गढ़वाली भाषा -साहित्य के प्रमुख मील स्तम्भों की जानकारी इस पुस्तक में मिलती है। यह पुस्तक गढ़वाली भाषा -साहित्य का साहित्येतिहास भी है। समीक्ष्य पुस्तक में गढ़वाल के संक्षिप्त इतिहास, संस्कृति एवं गढ़वाली भाषा के उपलब्ध साहित्य को जिस प्रकार से नियोजित किया गया है निश्चित रूप से प्रसंसनीय है। प्रो. सुरेश ममगाईं के अथक प्रयासों के फलस्वरुप उनके इस प्रकार के शोध ग्रन्थ समाज में आ रहे हैं।'
    विशिष्ट अतिथि लेखिका एवं मुख्य न्यासी 'शैलपुत्री फाउंडेशन' की डॉ. कविता भट्ट 'शैलपुत्री 'ने इस अवसर पर कहा कि - 'आखर ट्रस्ट द्वारा गढ़वाली भाषा -साहित्य के सम्बर्धन हेतु किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। प्रो.सुरेश ममगाईं जी की यह पुस्तक शोधार्थियों हेतु अवश्य उपयोगी साबित होगी।'
       रा. महाविद्यालय जयहरीखाल से आए अतिथि वक़्ता डॉ. उमेश ध्यानी ने इस पुस्तक को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि -' प्रो.सुरेश ममगाईं ने इस पुस्तक पर लगभग विगत 6 वर्षों  से कड़ी मेहनत की है। इतिहास एवं साहित्येतिहास लेखन एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। इतिहासकार वह लिखता है जो उसने पढ़ा और जो प्रमाण उसकी नजरों के सामने आते हैं।'
    लोकर्पित पुस्तक के लेखक प्रो. सुरेश ममगाईं ने इस अवसर पर कहा कि ' इस पुस्तक को लिखने का मुख्य  उद्देश्य यह है कि - 'गढ़वाल के संक्षिप्त इतिहास, संस्कृति एवं गढ़वाली भाषा एवं गढ़वाली साहित्य की जानकारी एक ही पुस्तक में हो एवं शोधार्थी इससे लाभान्वित हो सकें। यह पुस्तक समाज विज्ञान के शोधर्थियों हेतु भी उपयोगी साबित होगी।'
       ट्रस्ट के  सम्मानित ट्रस्टी,कई शिक्षक -शिक्षिकाओं, सामाजिक सरोकारों  एवं मीडिया  से जुड़े गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में यह कार्यक्रम  हुआ। 
     कार्यक्रम एवं सम्मान समरोह में ट्रस्टी रेखा चमोली (कोषाध्यक्ष ) , ट्रस्टी श्री दीवान सिंह मेवाड़ , ट्रस्टी श्रीमती अंजना घिल्डियाल ,ट्रस्टी श्री सौरभ बिष्ट,सदस्य राकेश जिरवान,कु. श्वेता एवं कु. वंदना नेगी ,जन सरोकारों से जुड़े श्री अनिल स्वामी , डॉ. अशोक बडोनी, डॉ. हर्षमणि पाण्डेय,श्री डी. पी. खंडूड़ी,  रा. माध्यमिक शिक्षक संघ टिहरी के जिलाध्यक्ष श्री दिलवर रावत, शगुन रेस्टोरेंट एवं वेडिंग पॉइंट के श्री प्रमोद उनियाल,रीजनल रिपोर्टर की श्रीमती गंगा असनोड़ा , श्रीमती उपासना भट्ट,श्रीमती मीना डोभाल , कवयित्री श्रीमती सायिनी उनियाल , श्रीमती अनीता काला, श्री प्रभाकर बाबुलकर,श्री नंदकिशोर नैथानी, श्री राजेश बडोनी,श्री कुलदेव रावत सहित कई अन्य शिक्षक एवं  मीडिया जगत से डॉ. श्रीकृष्ण उनियाल, श्री गोपी मैठाणी, श्री धनवीर बिष्ट, श्री तेजपाल चौहान,पौड़ी से डॉ. कमलेश मिश्रा एवं प्रसिद्ध दिवंगत कालजयी चित्रकार बी. मोहन जी के सुपुत्र श्री आशीष मोहन नेगी जी,उत्तरकाशी से श्री दीपेंद्र सिंह, SRT टिहरी से श्री शुभम कंडारी एवं श्री सोबत सिंह, गोपेश्वर से डॉ. मोनिश कुमार आदि की गरिमामयी उपस्थिति थी।
       

कार्यक्रम के अंत में आखर ट्रस्ट के संस्थापक एवं अध्यक्ष संदीप रावत द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी विद्वतजनों का आभार व्यक्त किया।
                                        संदीप रावत
                                     अध्यक्ष/संस्थापक 
                                     आखर चैरिटेबल ट्रस्ट
                                        श्रीनगर गढ़वाल।

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