मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


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Tuesday, May 25, 2021

श्रीनगर गढ़वाल /25 मई 2021/ "उत्तराखंड की एक और महान विभूति एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ शिवप्रसाद नैथानी जी हुए दिवंगत "

श्रीनगर गढ़वाल /25 मई 2020/ बहुत ही दुःखद / "उत्तराखंड की एक और महान विभूति एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ शिवप्रसाद नैथानी जी हुए दिवंगत "
😭अश्रुपूरित श्रद्धांजलि😭🙏🙏
       श्रीनगर निवासी, उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार, उत्तराखंड की संस्कृति पर वृहद लेखन करने वाली उत्तराखंड की महान विभूति परम आदरणीय डॉ. शिव प्रसाद नैथानी जी ( लगभग 88 वर्षीय) का आज देहावसान हो गया। यह उत्तराखंड के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। डॉ.शिव प्रसाद नैथानी जी के निधन से हम सभी ने यहाँ के सांस्कृतिक इतिहास के एक अमूल्य रत्न को खो दिया है। अभी हाल ही में हे. न. ब. गढ़वाल केंद्रीय विश्व विद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल में कार्यरत उनके पुत्र डॉ. मोहन नैथानी जी भी अचानक दिवंगत हुए थे । अपने पुत्र की असमय मृत्यु की असहनीय पीड़ा एवं अपनी शारीरिक अस्वस्थता के कारण यह महान विभूति भी हम सभी को छोड़कर गोलोकवासी हो गई।   डॉ.शिव प्रसाद नैथानी जी पौड़ी गढ़वाल के बिलखेत गाँव के मूल निवासी थे एवं गढ़वाल विश्व विद्यालय श्रीनगर गढ़वाल परिसर से इतिहास के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक थे।
       परम आदरणीय डॉ.शिव प्रसाद नैथानी जी ने उत्तराखंड के सांस्कृतिक इतिहास सम्बंधी लगभग 12 शोधपरक पुस्तकें लिखकर लेखन के द्वारा उत्तराखंड में अपना अतुलनीय योगदान दिया है।साथ ही उनके विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में अनगिनत शोधपरक आलेख प्रकाशित हुए। काफी समय तक उन्होंने 'श्रीनगर बैकुंठ चतुर्दशी मेला स्मारिका ' के प्रधान सम्पादकत्व के दायित्व का भी बखूबी निर्वहन किया।
    कई बार  मेरी उनसे  फोन पर भी बातें होती थीं एवं इतिहास, यहाँ की संस्कृति पर भी चर्चा होती थीं । अभी भी गहन अध्ययन , कठिन परिश्रम, लेखन एवं शोधपरक कार्य के प्रति परम आदरणीय डॉ. शिव प्रसाद नैथानी जी की ऊर्जा एवं उत्साह प्रेरित कर जाता था , एक नई ऊर्जा का संचार कर जाता था। उनकी जिंदादिली, सहज -सरल, मृदु एवं सौम्य स्वाभाव से बहुत प्रेरणा मिलती थी । परम आदरणीय डॉ. शिव प्रसाद नैथानी जी को उनके आवास पर अपनी पुस्तकें भेंट करने के दौरान भी उनका सानिध्य मिला और उनका आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
        दिसंबर 2016 में "आखर " समिति के गठन के समय भी जब उनसे बातें हुईं तो उनके संरक्षक मण्डल में शामिल होने से "आखर " को भी आशीर्वाद मिला एवं "आखर "गौरवान्वित हुआ । "आखर " समिति द्वारा गढ़वाली लोक साहित्य के मूर्धन्य विद्वान डाॅ. गोविंद चातक की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम एवं प्रथम "डाॅ. गोविंद चातक आखर साहित्य सम्मान"(वर्ष -2018) समारोह में इतिहासविद् डाॅ. शिव प्रसाद नैथानी जी ने ही अध्यक्षता की थी।
 
     उत्तराखंड के पौराणिक तीर्थों एवं ऐतिहासिक स्थलों एवं प्राचीन से लेकर आधुनिक संस्कृति का उन्होंने प्रमाणिकता के साथ गहन विवेचना की । वास्तव में यहाँ के इतिहास एवं प्राचीन संस्कृति संबंधी जानकारी हेतु सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में डॉ.शिव प्रसाद नैथानी जी की पुस्तकों का अवलोकन सभी के लिए उपयोगी एवं प्रामाणिक सिद्ध होता है। उत्तराखण्ड के इतिहास एवं यहाँ की प्राचीन संस्कृति को लेकर डॉ. शिव प्रसाद नैथानी द्वारा किया गया कार्य उनको सदैव चिरस्मरणीय बनाए रखेगा।
     उनकी  कुछ  शोधपरक पुस्तके --

उत्तराखंड का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक भूगोल
गढ़वाल के संस्कृत अभिलेख
उत्तराखंड: संस्कृत, तीर्थ और मंदिर
गढ़वाल के प्रमुख तीर्थ और मंदिर
उत्तराखंड: श्रीक्षेत्र , श्रीनगर
ब्रह्मपुर और सातवीं सदी का उत्तराखंड
उत्तराखंड का सांस्कृतिक इतिहास भाग१
उत्तराखंड गढ़वाल का जनजीवन भाग १
उत्तराखंड गढ़वाल का जनजीवन भाग २
उत्तराखंड का सांस्कृतिक इतिहास...
     
उत्तराखंड की इस महान विभूति के दिवंगत होने पर उनको शत -शत नमन के साथ 'आखर ' की ओर से अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि।🙏 ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे एवं शोकाकुल परिवार को यह असहनीय दुःख को सहने की शक्ति दे।
😭कनक्वै लिखण कविता अबारि, कनक्वै क्वी गीत
 वो सुरक-सुरक छोड़ि जाणा, छै जौं दगड़ी प्रीत।😭
😭 ॐ शांति शांति।🙏🙏
                                   संदीप रावत
                                अध्यक्ष - 'आखर ' 
                           न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल।