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(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


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Monday, November 20, 2023

सुभाष इंटर कॉलेज थौलधार के गणित प्रवक्ता श्री राजेश चमोली को मिला 'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान, वर्ष -2023' -संदीप रावत(आखर ), श्रीनगर गढ़वाल।

श्रीनगर गढ़वाल -
    राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदर्श शिक्षक स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी  की जयन्ती के उपलक्ष्य पर थौलधार के शिक्षक राजेश चमोली को मिला  'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान, वर्ष -2023'
          
     विज्ञान- गणित शिक्षण के क्षेत्र एवं विद्यालयी शिक्षा में नवाचार करने वाले  राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदर्श शिक्षक,स्व.शिवदर्शन सिंह नेगी  की जयन्ती  के उपलक्ष्य में आखर  ट्रस्ट द्वारा  स्व. नेगी जी के जीवन एवं कार्यों पर केंद्रित' व्याख्यान' एवं ' विज्ञान शिक्षक सम्मान समारोह' आयोजित किया गया ।  स्व.नेगी जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में आखर ट्रस्ट का यह तृतीय आयोजन था। यह आयोजन गोला बाजार श्रीनगर गढ़वाल स्थित अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन कार्यालय में किया गया।
      कार्यक्रम में इस वर्ष 'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान,वर्ष -2023 'विद्यालयी शिक्षा स्तर पर  विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में  नवाचारी प्रयोग करने, शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु दूरस्थ क्षेत्र  सुभाष इंटर कॉलेज थौलधार के शिक्षक श्री राजेश चमोली को प्रदान किया गया। सम्मान स्वरूप सम्मानित शिक्षक को अंगवस्त्र,सम्मान पत्र, विशेष आखर स्मृति चिह्न एवं पाँच हजार एक सौ (5100/-) रुपए की धनराशि भेंट की गई।
         कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन  अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन,स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी  के चित्र पर माल्यार्पण /पुष्पांजलि अर्पण,पॉलिटेक्निक की छात्राओं कु.अंजलि भंडारी,कु.सलोनी,कु.कामनी  द्वारा गढ़वाली सरस्वती वंदना की प्रस्तुति से हुई। 
         कार्यक्रम के  माननीय मुख्य अथिति  पूर्व विभागाध्यक्ष - गणित, हे.न.ब. गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय,प्रोफेसर डी.एस.नेगी जी ने 'आखर ट्रस्ट' की इस  पहल की सराहना करते हुए कहा कि  - 'स्व. नेगी जी जिन्होंने समाज एवं शैक्षिक जगत में अपना जो चिर स्मरणीय योगदान दिया है, उन कार्यों को याद किया जाना बहुत आवश्यक है।' साथ ही इस अवसर पर माननीय मुख्य अतिथि जी ने  Motivation & Mind Science पर भी वक़्तव्य रखा।
      आखर के अध्यक्ष  संदीप रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए  कहा कि यह कार्यक्रम उनकी जयन्ती के सुअवसर पर हर वर्ष आयोजित किया  जाएगा, ताकि उनके द्वारा समाज एवं शिक्षा क्षेत्र में किए गए कार्यों से अन्य शिक्षक साथी भी प्रेरित हो सकें ।
       अति विशिष्ट अतिथि अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के डॉ. प्रदीप अंथवाल जी ने इस अवसर पर कहा कि स्व.नेगी जी ने शिक्षा के क्षेत्र,छात्र हित एवं समाज में सदैव अग्रणीय भूमिका निभाई।साथ ही कहा कि - 'एक आदर्श शिक्षक की स्मृति में  किसी शिक्षक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में किसी वर्तमान आदर्श शिक्षक को सम्मानित करना यह प्राय: कम ही दिखाई देता है।' 
       विशिष्ट अतिथि  पौड़ी जनपद के राजकीय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष  बलराज सिंह गुसाईं जी ने इस अवसर पर कहा कि -' स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी एक आदर्श शिक्षक थे एवं  सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत रहे हैं।'साथ ही गढ़वाली भाषा के संरक्षण एवं विकास हेतु  आखर द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की।
      गणित प्रवक्ता डॉ. हर्षमणि पाण्डेय जी ने  स्व.शिवदर्शन सिंह नेगी जी द्वारा रचित 'विज्ञान -गणित गीतिका' ' पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि- 'विज्ञान-गणित गीतिका ' पुस्तक में स्व.नेगी जी ने विज्ञान और गणित के सिद्धांतों को पहेली, गीत,संवाद और कहानी के माध्यम से बहुत रोचक और व्यावहारिक ढंग से समझाया है।
      सम्मानित होने वाले शिक्षक राजेश चमोली ने कहा कि -'यह सम्मान मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण एवं गौरव की बात है क्योंकि स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी एक ऐसी महान विभूति हुए हैं जिनका व्यक्तित्व हम सभी शिक्षकों  एवं समाज के लिए  प्रेरणादायी था। शिक्षा जगत में उनके अवदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। साथ ही कहा कि अपने शिक्षक के हाथों सम्मानित होना मेरा सौभाग्य है।'
         कार्यक्रम में दिवंगत शिवदर्शन सिंह नेगी जी के परिवार से श्री आदित्य पटवाल   ने स्व. नेगी जी के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को सबके सम्मुख रखा। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया।
          कार्यक्रम का संचालन  गढ़वाल  केंद्रीय विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.नीतेश बौंठियाल जी ने किया। प्रवक्ता दीवान सिंह मेवाड़ जी ने स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी का व्यक्तित्व, उनके द्वारा शिक्षा जगत और समाज में दिए योगदान को सबके सम्मुख रखा। शिक्षक  अमन ममगाईं जी ने सम्मानित होने वाले शिक्षक  राजेश चमोली जी का परिचय एवं शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे कार्य सबके सम्मुख रखा।रा.इ.कॉलेज पौड़ी से आए प्रवक्ता एवं भूपेंद्र सिंह नेगी जी ने सम्मान पत्र का वाचन किया।
       कार्यक्रम एवं सम्मान समरोह में ट्रस्टी  रेखा चमोली,  लक्ष्मी रावत(संस्थापक,आखर ट्रस्ट ),ट्रस्टी दीवान सिंह मेवाड़,  प्रसिद्ध समाज सेवी एवं आंदोलनकारी अनिल स्वामी,ट्रस्ट की कु.श्वेता पंवार,ट्रस्ट की साक्षी रावत,चित्रकार हिमांशु,रीजनल रिपोर्टर की संपादक  श्रीमती गंगा असनोड़ा थपलियाल, स्व.नेगी जी के परिवार से श्री आदित्य पटवाल एवं श्रीमती स्नेहा पटवाल,शोधार्थी एवं ट्रस्ट के राकेश जिर्वाण हंस, स्व.नेगी जी के परिवार से श्री आदित्य पटवाल एवं श्रीमती स्नेहा पटवाल, बिलकेदार से सुमित,ट्रस्टी श्रीमती अंजना घिल्डियाल,ट्रस्ट के भूपेंद्र सिंह नेगी , श्री नन्द किशोर नैथानी, कवयित्री  राधा मैंदोली, शिक्षिका उमा चौहान , शिक्षिका अंजू शाह शिक्षिका बीना मेहरा, शिक्षक डॉ.अशोक बडोनी, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष चमोली, शिक्षक श्री संतोष पोखरियाल,शिक्षक श्री महेंद्र सिंह नेगी,श्रीमती ज्योति रावत, श्रीमती ज्योति जैन मेवाड़ , श्री चंद्रशेखर मेवाड़, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन से नरेश सहित कई अन्य शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति थी।
        अन्त में 'आखर ट्रस्ट 'के अध्यक्ष संदीप रावत ने  कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह मे उपस्थित सभी मंचासीन अतिथियों एवं सभी सम्मानित अतिथियों, कार्यक्रम में उपस्थित आखर के सभी सदस्यों, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर गढ़वाल,ट्रस्ट की संरक्षक  एवं स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी धर्मपत्नी श्रीमती बिमलेश्वरी नेगी जी का  आभार व्यक्त किया।
       
      

         
       
         
         यह सम्मान समारोह  'स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी की धर्मपत्नी,अवकाश प्राप्त शिक्षिका एवं ट्रस्ट की संरक्षक आदरणीय श्रीमती बिमलेश्वरी नेगी जी के सहयोग से आयोजित किया गया ।इस कार्यक्रम का आयोजन  'आखर  ट्रस्ट ' द्वारा स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में हर वर्ष आयोजित किया जाता रहेगा । 
                                        
  
   
  
   

Monday, November 14, 2022

डॉ.हर्ष मणि पाण्डेय जी को मिला 'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान,वर्ष -2022' ©संदीप रावत, श्रीनगर गढ़वाल

स्थान - बिलकेदार(नेगी लॉज )श्रीनगर गढ़वाल।
   
       शिक्षा को समर्पित राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित विज्ञान शिक्षक स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी  की जयन्ती के अवसर पर  शिक्षक डॉ. हर्ष मणि पाण्डेय जी को प्राप्त हुआ   'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान, वर्ष -2022'
      
           दिनाँक 13 नवंबर(रविवार )2022 को  प्रसिद्ध समाज सेवी, साहित्यकार, विज्ञान-गणित शिक्षण के नवाचारी,कल्पनाशील एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित आदर्श शिक्षक स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी(पूर्व प्रधानाचार्य रा.उ.मा.वि. मंजाकोट, चौरास,टि.ग.) की जयन्ती  के उपलक्ष्य में 'आखर चैरिटेबल ट्रस्ट' द्वारा विगत वर्ष की भांति  उन्हीं के निवास 'नेगी लॉज बिलकेदार, श्रीनगर गढ़वाल' में स्व. नेगी जी पर केंद्रित व्याख्यान माला एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया ।
            विगत वर्ष 'आखर चैरिटेबल ट्रस्ट' द्वारा स्व.शिवदर्शन सिंह नेगी जी की  जयन्ती के अवसर पर उनकी स्मृति में  'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान' की शुरुआत की गई थी। कार्यक्रम में इस वर्ष यह सम्मान अर्थात 'शिवदर्शन सिंह नेगी स्मृति आखर विज्ञान शिक्षक सम्मान(वर्ष -2022) विद्यालयी शिक्षा स्तर पर  विज्ञान एवं गणित के क्षेत्र में  नवाचारी प्रयोग करने, शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग,अपने छात्रों  को राज्य के साथ राष्ट्रीय स्तर पर  प्रतिभाग करवाने  हेतु डॉ. हर्षिमणि पाण्डेय जी ( प्रवक्ता,रा.इ.कॉ.हिंसरियाखाल, टिहरी गढ़वाल )को  प्रदान किया गया । सम्मान स्वरूप सम्मानित शिक्षक को अंगवस्त्र, सम्मान पत्र, विशेष आखर स्मृति चिह्न एवं पाँच हजार एक सौ (5100/-) रुपए की धनराशि भेंट की गई।
         कार्यक्रम की शुरुआत मंचासीन  अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन,स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी  के चित्र पर माल्यार्पण /पुष्पांजलि अर्पण,ट्रस्ट की सदस्य साक्षी रावत जी एवं बीरा देवी चौहान जी द्वारा मांगल गीत की प्रस्तुति से हुई। सभी मंचासीन अथितियों का स्वागत माल्यार्पण, बैच अलंकरण एवं बुके देकर किया गया। इस कार्यक्रम/सम्मान समारोह की स्मृति के रूप में ' आखर स्मृति चिह्न' सभी मंचसीन अथितियों को सादर भेंट किए गए।
         कार्यक्रम  एवं सम्मान समारोह के मुख्य अथिति प्रोफेसर प्रोफेसर एम.एस. नेगी जी (अधिष्ठाता छात्र कल्याण, हे.न.ब.गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर गढ़वाल) ने 'आखर ट्रस्ट' की इस  पहल की सराहना करते हुए कहा कि  - 'स्व. नेगी जी जिन्होंने समाज एवं शैक्षिक जगत में अपना चिर स्मरणीय योगदान दिया है, उनको याद किया जाना बहुत आवश्यक है। साथ ही कहा कि - 'आखर ट्रस्ट इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।'
       आखर चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष  संदीप रावत ने स्व. नेगी जी के साथ के अनुभव साझा करते हुए कहा कि -  'स्व. नेगी जी  मेरे गुरु एवं मार्गदर्शक थे। उन्होंने मुझे कुछ न कुछ नया करने हेतु एवं लीक से हटकर कार्य करने हेतु सदैव प्रेरित किया एवं यह सम्मान  उनकी जयन्ती के सुअवसर पर हर वर्ष एक विज्ञान शिक्षक को प्रदान किया जाएगा।'
      अति विशिष्ट अतिथि खण्ड शिक्षा अधिकारी, कीर्तिनगर डॉ. यशवन्त नेगी जी ने इस अवसर पर कहा कि 'स्व.नेगी जी ने शिक्षा के क्षेत्र,छात्र हित एवं समाज में सदैव अग्रणीय भूमिका निभाई।विज्ञान -गणित शिक्षण में जो प्रयोग आज किए जा रहे हैं, वो प्रयास उन्होंने बहुत पहले शुरू कर दिए थे।
       विशिष्ट अतिथि  जिलाध्यक्ष,राजकीय शिक्षक संघ, (टिहरी गढ़वाल) श्री दिलवर सिंह रावत जी ने इस अवसर पर कहा कि -'आखर अपने गठन से ही  अलग हटकर कार्य कर रहा है। स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी एक आदर्श शिक्षक थे एवं  सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।स्व. नेगी जी ऐसे शिक्षक थे जिन्होंने तो राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए भी मना कर दिया था, विभागीय अधिकारियों ने ही उनका नाम इसके लिए भेजा।'
        सम्मानित होने वाले शिक्षक डॉ. हर्षमणि पाण्डेय जी ने कहा कि - 'स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी एक ऐसी महान विभूति थे सबके लिए अपने प्रेरणादाई पदचिह्न छोड़ गए हैं।'डॉ. पाण्डेय जी ने स्व. नेगी जी के साथ के अपने अनुभव साझा किए।
         कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में दिवंगत शिवदर्शन सिंह नेगी जी की धर्मपत्नी एवं अवकाश प्राप्त शिक्षिका आदरणीय श्रीमती बिमलेश्वरी जी  ने स्व. नेगी जी के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं को सबके सम्मुख रखा। साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सभी का आभार व्यक्त किया।
          कार्यक्रम का संचालन ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं गढ़वाल  केंद्रीय विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग के असिस्टेंट प्रो.डॉ.नागेंद्र रावत जी ने किया। श्री दीवान सिंह मेवाड़ जी ने स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी का व्यक्तित्व, शिक्षा और समाज में दिए उनके योगदान को सबके सम्मुख रखा। राकेश जिर्वाण हंस ने डॉ. हर्षमणि पाण्डेय जी का परिचय एवं किए जा रहे कार्य सबके सम्मुख रखा।
       कार्यक्रम एवं सम्मान समरोह में ट्रस्टी रेखा चमोली (कोषाध्यक्ष )जी , ट्रस्टी लक्ष्मी रावत जी , ट्रस्टी श्री दीवान सिंह मेवाड़ जी , ट्रस्टी श्रीमती अंजना घिल्डियाल जी , सदस्य कु. श्वेता पंवार एवं राकेश जिर्वान हंस ,श्री नन्द किशोर नैथानी जी,श्री भूपेंद्र सिंह नेगी जी, डॉ. हर्षमणि पाण्डेय जी की धर्मपत्नी श्रीमती रजनी पाण्डेय जी,श्री भास्करानन्द भट्ट जी, श्री गोविन्द कठेत जी, पिंकी गुसाईं जी,श्रीमती गंगा असनोड़ा थपलियाल जी , रा. शि. संघ कीर्तिनगर ब्लॉक के पूर्व अध्यक्ष श्री राजेश सेमवाल जी , श्री विजय मोहन गैरोला जी ,  जी. जी. आई. सी. पौड़ी से श्रीमती श्वेता बिष्ट रौतेला जी, पौड़ी इंटर कॉलेज से श्री भूपेंद्र सिंह नेगी जी,श्री तेजपाल ,श्री चतर लिंगवाल जी, श्री ओम प्रकाश सैलानी जी,श्री रणजीत जाखी जी,जखोली से श्री बीरेंद्र राणा जी, श्री लाल सिंह नेगी जी, श्री कनक पुंडीर जी, श्री गजेंद्र पुंडीर जी,श्री मनमोहन रावत जी, श्री प्रभाकर बाबुलकर जी, श्री राम रतन सिंह जी, श्री रणजीत जाखी जी,श्रीमती लीला देवी बिष्ट जी ,श्रीमती परमेश्वरी बिष्ट जी,सहित कई अन्य शिक्षक एवं मीडिया जगत से जुड़े व्यक्तियों की गरिमामयी उपस्थिति थी।
     अन्त में 'आखर  चैरिटेबल ट्रस्ट 'के अध्यक्ष संदीप रावत ने  कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह मे उपस्थित सभी मंचासीन अतिथियों, सम्मानित अतिथियों एवं मीडिया जगत का आभार व्यक्त किया। साथ ही  ट्रस्ट के कार्यक्रम में उपस्थित सभी ट्रस्टियों का आभार एवं ट्रस्ट की संरक्षक,  कार्यक्रम अध्यक्ष आदरणीय श्रीमती बिमलेश्वरी नेगी जी का विशेष आभार व्यक्त किया।आखर के वरिष्ठ सदस्य श्री देवेश्वर प्रसाद खंडूड़ी जी,सम्मानित होने वाले शिक्षक डॉ. हर्षमणि पाण्डेय जी की धर्मपत्नी श्रीमती रजनी पाण्डेय जी, आखर ट्रस्ट की सक्रिय सदस्य कु. श्वेता पंवार, कार्यक्रम में मांगल गीत की प्रस्तुति देने वाले श्रीमती साक्षी रावत जी एवं श्रीमती बीरा देवी चौहान जी को भी कार्यक्रम की स्मृति के रूप में 'आखर स्मृति चिह्न' सादर भेंट किए गए।
        यह सम्मान समारोह 'स्व.शिवदर्शन सिंह नेगी जी की धर्मपत्नी, अवकाश प्राप्त शिक्षिका एवं ट्रस्ट की संरक्षक आदरणीय श्रीमती बिमलेश्वरी नेगी जी के सहयोग से आयोजित किया गया । 'आखर  चैरिटेबल ट्रस्ट ' द्वारा स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी की जयन्ती के सुअवसर पर 'यह सम्मान समारोह एवं स्व. शिवदर्शन सिंह नेगी जी पर केंद्रित व्याख्यान माला का आयोजन आगे भी हर वर्ष आयोजित किया जाता रहेगा ।
                                        संदीप रावत
                                 (संस्थापक एवं अध्यक्ष)
                                 आखर चैरिटेबल ट्रस्ट 
                                   श्रीनगर गढ़वाल।

Tuesday, July 26, 2022

गढ़वाली रचना -सीख ©संदीप रावत, न्यू डांग-ऐठाणा,श्रीनगर गढ़वाल

    ' सीख '
भलि छ तुमारि
य भारि जीत,
पण! मि खुणि छ
य प्यारि सीख।
गद्यरा रुसायां छन त
क्वी बात नि,
एक पंद्यारु भौत छ
बुझौणा खुणि मेरि तीस।
            ©संदीप रावत, न्यू डांग-ऐठाणा
                 श्रीनगर गढ़वाल।


Sunday, March 13, 2022

न्यू डांग श्रीनगर गढ़वाल मा पैलि बार ह्वे 'होली मिलन समारोह 'कु आयोजन -------संदीप रावत, न्यू डांग श्रीनगर गढ़वाल।

 न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल - 'डांग मा ऐंसु साल बटि एक नयि शुरुवात '



      ब्याळि ब्यखुनि दां 13 मार्च 2022 खुणि 'व्यापार सभाडांग -ऐंठाणा ' का तत्वाधान मा न्यू डांग मा पैलि बार 'होली मिलन समारोह 'कु आयोजन कर्ये गे।
         यो कार्यक्रम न्यू डांग, नियर -सौरभ मेडिकॉस
का सामणि ह्वे। कार्यक्रमौ संचालन आखर ट्रस्ट का उपाध्यक्ष डॉ.नागेंद्र रावत जीन करि। व्यापार सभा, डांग -ऐंठाणा 'का श्री सौरभ पाण्डेय जीन सब्बि अथितियों कु स्वागत करि। कार्यक्रमै शुरुवात दीप प्रज्वलन अर डांग का 'समर्थ सहायता महिला समूह' द्वारा सुन्दर मांगळ गायन से ह्वे। फिर न्यूत्यां कवि -डॉ. प्रकाश चमोली अर संदीप रावत कवयित्री - श्रीमती रेखा चमोली, श्रीमती अंशी कमल, श्रीमती अनीता काला जीन होळी, बसन्त अर प्रेम परैं केंद्रित रचना बांचिन । यां का बाद परम्परागत होळी गीतों गायन डॉ. प्रकाश चमोली अर संदीप रावत का दगड़ा पंडाल मा उपस्थित सब्बि लोगुन करि। होळी गीतों मा - खोलो किवाड़ चलो मठ भीतर,फूलों से मथुरा छाई रही, मोरे पिया होली को खिलैया गीतों आनंद दर्शकोंन ले। कार्यक्रम मा उपस्थित डांग का सब्बि दर्शकों मा आज खूब उल्लास दिख्ये।
       कार्यक्रम मा मेडिकल कॉलेज (श्रीकोट )का माननीय प्राचार्य डॉ. रावत जी, श्री प्रदीप बिष्ट जी (अधिशासी अभियंता, पौड़ी नगर पालिका परिषद ),श्रीनगर का व्यापार संघ अध्यक्ष श्री दिनेश असवाल जी, पूर्व अध्यक्ष श्री वासुदेव कंडारी जी, मास्टर माइंड पब्लिक स्कूल का प्रबंधक श्री अर्जुन सिंह गुसाईं जी, श्री सतीश काला जी, नगर पालिका परिषद का डांग का सभासद श्री हरीश मियां जी , ये कार्यक्रम का संरक्षक श्री रणजीत सिंह धनाई जी, श्री पंकज सती जी, श्री सिद्धार्थ मियां, श्री लक्ष्मण सिंह,डांग क्षेत्र कि तमाम मातृशक्ति दगड़ा कतगै गणमान्य लोग उपस्थित छा।
भौत -भौत आभार अर धन्यवाद' व्यापार सभा, डांग -ऐंठाणा' का अध्यक्ष श्री सौरभ पाण्डेय जी अर वूंकी सैर्या टीम कु जौंन ये आयोजन तैं सुफल बणौण मा क्वी बि कोर -कसर नि छोड़ी अर डांग मा पैलि बार वृहद रूप मा होली मिलन समारोह कु आयोजन करि।

' फुल संग्राद अर होळि कि हार्दिक शुभकामना।'
संदीप रावत
अध्यक्ष :आखर चैरिटेबल ट्रस्ट
श्रीनगर गढ़वाल।

Monday, February 21, 2022

'आखर चैरिटेबल ट्रस्ट ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ' ©संदीप रावत, न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल।

'आखर चैरिटेबल ट्रस्ट ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस '
              
श्रीनगर गढ़वाल (21 फरवरी 2022)- गढ़वाली भाषा -साहित्य के संरक्षण एवं सम्बर्धन हेतु प्रयासरत 'आखर चैरिटेबल ट्रस्ट' ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर ट्रस्ट के कार्यालय रावत, न्यू  डांग में कार्यक्रम आयोजित किया । इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि -हमारी मातृभाषा ही हमारी पहचान है । मातृभाषा के पक्ष में विचार रखते हुए रचनाकारों /वक़्ताओं ने गढ़वाली भाषा को बढ़ावा देने, नई पीढ़ी को अपनी मातृभाषा से जोड़ने एवं इस भाषा के संरक्षण पर जोर दिया।
      आखर ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं कवयित्री अंशी कमल द्वारा गढ़वाली सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम में साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ.अशोक बडोनी कहा कि - गढ़वाली भाषा के जो शब्द प्रचलन से बाहर हो रहे हैं उनको संरक्षित करने की आवश्यकता है।प्रत्येक को अपनी मातृभाषा के विकास व संरक्षण हेतु आगे आना ही होगा।'
      ट्रस्ट के उपाध्यक्ष एवं हे. न. ब. ग. विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रो. नागेंद्र रावत ने कहा कि -'अपनी मातृभाषा के प्रति हमें अपने दायित्वों को समझना होगा।एकल परिवार होने के कारण, दादा -दादी, नाना -नानी आदि के साथ नई पीढ़ी के न रह पाने के कारण भी आज अपनी मातृभाषा के प्रति हम सभी के दायित्व और भी बढ़ गए हैं । इस दिवस को मनाने का कारण यह है कि -कहीं ना कहीं आमजन अपनी दुधबोली से दूर हो रहा है।
       ट्रस्ट की कोषाध्यक्ष एवं कवयित्री रेखा चमोली ने कहा कि - " हमें मातृभाषा बचाने की पहल अपने घर से करनी होगी।हमारी मातृभाषा ही हमारी असली पहचान है । " योगा तृतीय सेमिस्टर की छात्रा श्वेता पंवार ने कहा कि - " हमें अपनी मातृभाषा में बात करते हुए शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए एवं स्वयं ही बेझिझक होकर अपने से इसकी शुरुआत करनी चाहिए।अपनी मातृभाषा के संरक्षण एवं सम्बर्धन हेतु । "
      कार्यक्रम का संचालन करते हुए ट्रस्ट के अध्यक्ष संदीप रावत ने गढ़वाली भाषा की शब्द सामर्थ्य पर विचार रखे एवं कहा कि - अभिव्यक्ति की एक सशक्त माध्यम गढ़वाली भाषा के संरक्षण एवं सम्बर्धन की जिम्मेदारी हम सभी की बनती है। साथ ही संदीप रावत ने कहा कि - भाषाओं एवं बोलियों पर वैश्विक संकट को देखते हुए यूनेस्को ने वर्ष 2000 से प्रत्येक वर्ष 21फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का निर्णय लिया था। मूल रूप में यह दिवस सारे विश्व में भाषा के पहले आंदोलन जो कि ढाका में बांग्ला भाषा के लिए हुआ था उसमें कई लोग शहीद हुए थे, तो उनकी याद में भी तब से यह दिवस मनाया जा रहा है। हम सभी को अपने दैनिक जीवन में इसे व्यवहार में लाना होगा।'
      इस अवसर पर कु.कंचन पंवार,अंशी कमल, रेखा चमोली आदि ने अपनी गढ़वाली रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम में संजय रावत,मयंक पंवार, संगीता पंवार आदि भी उपस्थित थे। अंत में ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी श्रीमती लक्ष्मी रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।



Wednesday, December 16, 2020

गढ़वाली साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर एवं शिक्षक महेशानन्द जी (पौड़ी ) द्वारा " गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा " की समीक्षा..

  "गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा " इत्यासकार- संदीप रावत
(क्या च यीं किताबा भित्र ? )
                      समीक्षक - महेशानन्द ( पौड़ी )
     संदीप रावत जी कु जलम ह्वा 30 जून 1972 म्. गौं अलखेतू (कसाणी) पोखड़ा, पौड़ी गढ़वाल. आपन एम0एस0सी0 रसायन विज्ञान बटि कैरि. बी0एड0 कऽ दग्ड़ा आप संगीत प्रभाकर बि छयाँ. रसायन विग्याना जणगूर संदीप रावत जी गढ्वळि साहित्या तोक(क्षेत्र) मा एक गीतकार, कबितेरा भौ मा जण्य-पछ्यण्ये जंदन. वूंकि पैलि किताब च- ‘‘एक लपाग’’ (गीत कविता संग्रै), दुस्रि किताब च- ‘‘गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा’’ (एक ऐतिहासिक समालोचनात्मक पुस्तिका), तिस्रि किताब- ‘‘लोक का बाना’’ (निबंध संग्रै) चौथि पोथि च- ‘‘उदरोळ’’ (कहानी संग्रै) अर पाँचवीं किताब- ‘‘तु हिटदि जा’’ (गीत संग्रै)
   संदीप जी कु सांसब्वळु (साहसकि) काम च- ‘‘गढ़वाळि भाषा अर वींकि साहित्ये विकास जात्रौ चौबुट-चाबटी इकबट कन.‘‘ य भारि असौंगि धाण छै. यीं किताबै जतगा बि पुलबैं कराँ हम, कमती च. इत्यास लिखण क्वीं सौंगि धांण नी. इत्यास लिखण वळु लिख्वार एक न्यायाधीस हूँद. इत्यासकार जु धांणू थैं मड़कै-मुड़कैकि नि ल्हाउन, जु सकळु च वे सणि ऐन-सैन ल्येखि द्याउन त ऐथरै छ्वाळ्यू खुण वु एक सैन्वर्यू सि बाठु ह्वे जांद. 
     याँकै लब्ध भीष्म कुकरेती जी संदीप जी कि पुलबैं मा यीं किताबम् लिखणा छन- ‘‘संदीप पैला इना साहित्यकार छन जौंन एक ही पोथि मा समग्र रूप से गढ़वाळि भासा मा सब्बि बिधौं जन कि- भाषा विज्ञान, पद्य/काब्य, कथा, व्यंग चित्र, व्यंग, चिट्ठी-पत्री, समालोचना जन बिधों को इतिहास इकबटोळ कार, समालोचना ल्याख. यानि कि संदीप आधिकारिक रूप से पहला साहित्यकार छन जौंन सब्बि बिधौं को ‘‘क्रिटिकल हिस्ट्री ऑफ गढ़वाली’’ की पोथि ‘‘गढ़वाळि भासा अर साहित्य कि विकास जात्रा’’ गढ़वाळि मा छाप.’’ भीष्म कुकरेती जीन् संदीपै गढ़वळि साहित्ये अन्वार डेविड डाइसेस, डॉ0 फ्रेडिरिक बियालो, फ्रेडिरिक ओटो व जार्ज कॉक्स, जार्ज सेंट्सबरी जना बिज्जाम बिद्यसि लिख्वारू फर सुबरा (सुशोभित की).
     जक्ख मनिख रांदु ह्वलु वुक्ख भासा बि जलम ल्हालि. यु परकिरत्यु नियम च. खुरगुदन्यू (खोज का) एक सवाल यौ च कि डौंरौ (वाद्य यंत्र) जलम् कक्ख ह्वे ह्वलु. डौंर दग्ड़ि थकुलि बजाणौ रिवाज कब बटि ह्वा; डौंर दग्ड़ि थकुलि बजये जांद. थकुलि कांसी हूंद. कांसी थकुलि थैं लखड़न बजा त् वाँकि छाळि बाच नि आंद. कांसी थकुलि बजाणु जड़ौ (बारह सिंगा) कु सिंग चयेंद. जड़ौ कऽ सिंगन जब कांसी थकुलि बजए जांद तब वऽ छणकदि च. ह्वे सकद कि डौंर-थकुलि उत्तराखंडि आदिवास्यूँ कु बाद्य यंत्र रै हो. जौं आदिवास्यूँ खुण हम नाग, जग्स (यक्ष) कोल, भील, किरात, तंगण, कुलिंद, पुलिंद बोलि दिंदाँ. बुनौ न्यूडु यौ च कि जु जागर, धुंयेळ, मांगळ गीत, थड़्य गीत जौं मा चौंफळा, तांदि, चांचरि, झैमैको, दखै-सौं अर छोपदि गीत छन. झुमैला अर द्यूड़ा जु कि डांडौं-सार्यूँ लगए जंदन; वूंकि रंचना तै जुग बटि हूंद आ जु कि अणलिख्याँ साहित्य मा छन. आणा, मैणा, पखणा अर भ्वींणा बि तै जुग बटि बण्द ऐनि जौं थैं हम मुखागर अंठम् धैरी आणा छाँ. रौखळि, अड़दासा रंचनाकार कु रै ह्वला ?
  संदीप रावत यीं कितबी पैलि वाड़ि कऽ दुस्रा अध्याय (गढ़वाळि भाषा) मा लिखणा छन- ‘‘ब्वले जै सकेंद कि गढ़वाळि भाषा एक अलग भाषा छै पैली बटि जैंको असतित्व साख्यूँ पैली बटि छ......जब राजा कनकपाल ऐनि यख या राजा अजयपालन् पैली देवलगढ़ अर फिर श्रीनगर राजधानी बणै छै त् वो अफू दगड़ि गढ़वाळि भाषा थोड़ा ल्है होला ? गढ़वाळि भाषा त् पैली बटि रै होलि यख, बस ईं भाषौ रूप कन रै होळू या स्वचणै बात छ अर सवाल बि छ.’’ 
     हम थैं गढ्वळि भासै वऽ तणकुलि पखण पोड़लि ज्व भौत गैरि खाड पौंछि ग्या. खतऽखति दौंपुड़ा (मैदानी भागों के) मनिख इक्ख आंद ग्येनि अर गढ्वळि भासै अन्वार सौंटळेण (बदलने लगी) बैठि ग्या. एक बात संदीप रावत ठिक लिखणा छन कि गढ्वळि अर कुमौनि पैलि एक्कि भासा रै ह्वलि. राजों कऽ जुग मा जैकु खुंख्रु तैकु लग्वठ्या वळा किस्सा रैनि. इलै यि भासा दुबंल्या ह्वे ग्येनि. 
     यीं कितबी पवांणम् गढ्वळि भासा जणगूर शिवराज सिंह ‘निःसंग' जी लिखणा छन कि- ‘‘गढ़वाळि साहित्ये रचना की शुर्वात कब अर कनक्वे ह्वे येको ठीक-ठीक पता नि चली सकद, किलैकि गढ़वाळ मा 9वीं, 10वीं, 14वीं, 15वीं अर 18वीं सदी मा विनासकारी भ्वींचळौं का कारण जो तहस-नहस ह्वे वामा वे काल को साहित्य बि धरती की गोद मा समै गै.’’ तौबि हम्मा जु मुखागर छौ वु, अज्यूं बि ज्यूँद च. तै जुग मा एक हूँदि छै कथगुलि. ज्व लुक्खू सरेल बिळमाणु कथ्था सुणांदि छै. वूँ कथगुल्यूँन झणि कतगा कथ्था गैंठ्येनि. अनपढ़ छा वु. वून एक-से-एक रंगतदार कथ्था मिसै द्येनि. अमणि हम वूँ कथ्थों खुण लोककथा बुलदाँ. वूँकि रंची कथ्था हम मा बचीं रै ग्येनि, वूँ साहित्यकार्वा नौ कु बार-भेद-पताळ हर्चि.
शिवराज सिंह निःसंग जी लिखणा छन कि- गढ़वाळि साहित्य का इतिहास मा गढ़वाळि भासा अर साहित्य कि छाळ-छांट कन्न वळी पोथ्यूं मा अवोध बंधु बहुगुणा कि ‘‘गाड म्यटेकि गंगा’’ अर शैलवाणी, डॉ0 हरिदत्त भट्ट शैलेश कि हिन्दी मा लेखीं पोथि ‘‘गढ़वाळि भाषा और उसका साहित्य’’ प्रमुख छन. अर डॉ0 जगदम्बा कोटनाला कि गढ़वाळि पद्य पर ‘‘गढ़वाळि काव्य का उद्भव, विकास और वैशिष्ट्य’’ हिन्दी मा लेखीं शोधपरख पोथि छपेनी. अब यीं कड़ी मा संदीप रावत कि या गढ़वाळि साहित्य मा अपणी अलग तरौं कि विवेच्य अर ऐतिहासिक पोथि- ‘‘गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा’’ बि जुड़ी गे.’’
‘‘गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा’’ गढ़वाळि साहित्य मा एक मील स्तम्भ च इन भीष्म कुकरेती जी लिखणा छन. खोज कन वळा नया लिख्वारू खुण य किताब अछीकि एक सौंगु सि बाठु जन च. यीं किताबम् नया पुरणा सौब लिख्वारा बारा मा लिख्यूँ च. गढ्वळिम् एक भ्वीणु (पहेली) इन च- जैंति हे, जैंती, मि मैला मुलुक लागु, म्यारा नौनौं बि सैंति. याँकु मतलब च कि हे धरती, हे धरती, मि अगने बढणू छौं, म्यारा फल/सब्जी थैं सैंतणी रै. यीं पहेल्यू उत्तर च- लगुलु. साहित्यकारू थैं बि यीं पहेली से आणु (शिक्षा) ल्हीण चयेंद कि हम साहित्य थैं लेकि ऐथर त जाणा छाँ पण जु पैथर छुटणू च, वे बि सैंकि रखां. इन नि हो कि हम धुद्याट कै अटगणा राँ अर पैथर बुसकंत फैलेणि रौ. इलै जु साहित्य कु इत्यास लिखणा छन वूँकि पीठिम् साबास्या हत एक न बिछक हूण चयेणा छन. ये कारिज मा संदीप रावतै भौत बड़ि सहेल मने जालि.
     यीं किताबौ हैलु-मैलु (बनाउ-श्रृंगार) संदीप रावतौ अनमनि भाँत्यू कर्यूँ च. पैलि वाड़ि बटि दिखेंद- ‘‘अग्याळ’’. अग्याळम् गढ्वळि भासा बारामा लिख्यूँ च कि य भासा कन च क्या च, यींकि लिपि क्या च, य भासा मनिखा ज्यू मा उबडदा उमाळू थैं बिंगाणै कतगा सक्य रखद. भौत निसाबै बात बुलीं च संदीप जी कि हिन्दि से पुरणु छ गढ़वळि भासौ इत्यास. पैलि गढ्वळ्यू खुण क्य बुलदा छा? कनकै यीं भासौ नौ गढ्वळि पोड़ि ? भासा क्या च अर बोलि क्या च ? क्य यीं भासौ जलम् संसकिरित बटि ह्वे ह्वलु ?एक सरल सि सवाल कैकऽ बि घटपिंडा मा उबडि सकद. जैकु जबाब संदीपौ कुछ इन दियूँ च कि कै बि बोलि-भासा कै हैंकि भासा से पैदा नि हूँद, हौरि भासौं कु वीं पर प्रभाव प्वड़द. संदीप यीं वाड़्या तिस्रा अध्याय- ‘‘गढ़वाळि भासा कि खासियत अर प्रकृति’’ मा लिखणा छन कि विशेष भासा छ गढ़वाळि. इनि अंगळति भासै लिपि क्या च ? क्य कै भासौ खुण क्वी नै लिपि बणाणै जर्वत ह्वे सकद ? फी भासै कुछ खास्यत हुंदन. गढ्वळि भासै क्य खास्यत ह्वलि ? यीं भासा दगड़्य कु-कु ह्वला ? गढ्वळि भासौ सब्द भकार कतगा सगंढ (विशाल) ह्वलु ? कौं-कौं भासौं कऽ सब्द यीं भासा मा रळ्याँ छन ? यूँ सवाल्वा जबाब बंचदरा ये अध्याय मा बांचि सकदन. यीं वाड़्यू निमड़ौंदु अध्याय च- ‘‘ज्यूंदा दस्तावेज छन आणा-पखाणा.’’ मि यूँ आणा-पखणों थैं गढ्वळि भासा ग्हैंणा मनदु. कुछ पखणौं बटि सड़्याण बि आंद. हम थैं वूं थैं फुंड चुटै दीण चयेंद. ऐतिहासिक पखणा खैड़ै सि कड़ाक जन छन. यि पखणा चर-चर-पंच-पंच सब्दूं से मिली बण्याँ छन पण सगळ्यू इत्यास यूँ सब्दू मा कीटि-खूमी भुर्यूँ च. 
गढ़वाळि भासा अर साहित्य की विकास जात्रै दुस्रि वाड़ि बटि चुळ-चुळ दिखेंद- गढ्वळि भासौ ब्याकरण. कौं-कौं लिख्वारुन यीं भासा ब्याकरण फर धाण सरा ? यीं भासा ब्याकरणौ कनु सलपट च ? क्य यीं भासौ ब्याकरण हिन्दि भासा ब्याकरण जन च ? गढ्वळि भासा ब्याकरणिक तत्व कु-कु छन ? जना सवालू जबाब जण्णू खुणै यीं वाड़ि बटि दिखण पोड़लु. 
   तिस्रि वाड़ि नी, भरि-भारी मोरि च. यीं मोरि बटि गढ्वळि भासै चौचक दुफ्रा अपड़ा सेळा घामै निवति सि दींद चितएंद. गढ्वळि भासा साहित्यौ समोदर को च ? गढ्वळि भासौ पैलु कालखंड कु छौ ? खंदलेख, घांडलेख, तामपतर, दानपतर, राजौं कऽ फरमान यि सौब यीं भासै कतगा छाँट-निराळ कर्दन ? यीं भासौ दुस्रु, तिस्रु, चौथु, पाँचौं, छटौं, सातौं कालखंड कु छौ ? यूँ कालखंडौं कऽ लिख्वार कु-कु छा, जौंन यीं भासै पुट्गि भुन्नै ताणि मरिनि ? वून कौं-कौं बिधौं मा अपड़ु सल-सगोर दिखा ? वूँ कितब्यूँ कऽ क्य-क्य नौ छन ? सन् 2000 बटि अजि तकै कु-कु किताब छपेनि ? सब्यूँ कु लेखा-जोखा यीं किताबम् सैंक्यूँ च. यांका दगड़ा पतर-पतरिकौं कि टेकणू कु बि यीं भासा थैं जंके कि रखणम् ताण मरीं रै. वु कु पतरिका छै ? 
यीं पोथी चौथि अर निमड़ौंद वाड़ि च- ‘‘गढ़वाळि साहित्ये विधा अर विशेषता’’ याँ बांची हम बींगि सकदाँ कि गढ्वळि भासा मा कतगा अनुवाद, कतगा कविता संग्रै, कतगा कहानि संग्रै, कतगा व्यंग्य, कतगा उपन्यास, कतगा लोककथा अजि तकै छपे ह्वलि, वाँ कऽ बारा मा यीं किताबम् सुबद्यान कै लिख्यूँ च. गढ्वळि पिक्चरू बगत नि बिस्रे सकेंद. जबरि जग्वाळ पिक्चर आ, सरेलम् भरि छपछपि पोडि छै. भासै उन्यत्यू खुण यूं धांणू कु हूण जरूरी च.
    एक भारि गरू सवाल यीं भासौ मानकिकरणौ च. जै खुण हम पक्यूँ पिसुड़ु बुलां त् अंगळ्ति बात नि हो. ये पक्याँ पिसुड़ा थैं जरा ठसोळा, इनु बिबलाट मचलू कि भासै नन्नि मोरि जालि. भुला संदीप रावतन् सैज से अपड़ि धाण सरा. गूदन धाण सरा त् धांण अर्खत नि जांद. वून मानकीकरण कऽ बारा मा जु-जु जन बखद ग्या, तन-तन ऐन-सैन लेखी धैर द्या. संदीप भुला मानकिकरणा फैमळा मा नि पुड़िनि. एक भला समालोचक कऽ गुण यामि दिखे जंदन. 
     कुम्मुर सि करकण वळि बात यीं किताबै या च कि म्यारा सुण-दिखण्म इन आ कि अमेरिकौ एक मनिख जै कु नौ स्टीफन फ्यौल च अर वेन अपड़ु नौ छूड़ू गढ्वळिम् लपतै कि फ्यौंलि दास धैरि द्या. वु छूड़ि गढ्वळि बुल्द. फ्यौंलि दासौ गुरु च सोहन लाल. सगोरु लाल जी खाळ्यूँ डांडा, पसुंडखाळ, पौडिम् रांदा छा. यूँकि जागर नजिबाबाद रेडियो स्टेसन बटि लौंकिद छै. कनि गळि अर कनि भासा! जु नास्तिक बि रै ह्वलु वे फर बि वु दिब्ता गाडि दींदा छा. संतोष खेतवाल जीन् बि गढ्वळि गित्तू गैकि गढ्वळि भासै पुट्गि भोरि. जगदीश बगरोळो नौ कु बिस्रि सकद ? घनानंद खिगताट रस कऽ जाजलि मनिख छन. किसना बगोट एक इना टौकैकार (व्यंग्यकार) छन जु मनिख कऽ जिकुड़ा भित्र खिबळाट कै दिंदन. भौत नौ छन जु एक दाँ बिस्रे ग्येनि त् फिर बिस्रयाँयि रै जाला. यूँ थैं बि हम जगा दींद जाँ. 
     संदीप रावत कु यीं किताब लिखण्म्, छपाण्म् कतगा सरेल पित्ये ह्वलु, कतगा बेळि खपि ह्वलि, इन मि भनकै जण्दु. साहित्य लिखण क्वी सौंगि-सराक नी. भौत खैरि खाण पुड़दन. मि संदीपै उन्यती भलि कंगस्य कनू छौं कि वु इन्नि गढ्वळि भासै स्यव्वा कना रावुन। 

Sunday, December 6, 2020

"साहित्य अकादमी " पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी -गढ़वाळि का सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री प्रेम लाल भट्ट जी बि भग्यान ह्वे ग्येनि " - संदीप रावत, न्यू डांग, श्रीनगर गढ़वाल

   "साहित्य अकादमी " पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी -गढ़वाळि का सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री प्रेम लाल भट्ट जी बि भग्यान ह्वे ग्येनि "

प्रेम लाल भट्ट ( जन्म -08 मई 1931, सेमन, देवप्रयाग मा। भग्यान - 06 दिसम्बर 2020, दिल्ली मा )

हिन्दी - गढ़वाळि का सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री प्रेम लाल भट्ट जी को बि ब्याळी 06 दिसम्बर 2020 खुणी दिल्ली मा स्वर्गवास ह्वे ग्ये।
   गढ़वाळि साहित्यकारों मा वूं को भौत बड़ो स्थान अर मान छ । वो उच्चकोटि का रचनाकार छायि । वूंन कम लेखीक बि गढ़वाळि भाषा मा अपणो अमूल्य योगदान दे । वूंन गढ़वाळि निबंध साहित्य अर गढ़वाळि काव्य तैं नयो ब्योंत दे। वूंन गढ़वाळि साहित्य तैं " उमाळ " ( सन 1979 मा प्रकाशित गढ़वाळि काव्य संग्रै ), "भागै लकीर "( सन 1987 मा प्रकाशित गढ़वाळि खण्ड काव्य ) अर " उत्तरायण "( सन 1987 मा प्रकाशित गढ़वाळि महाकाव्य ) जन अनमोल कृति गढ़वाळि साहित्य तैं देनि।
सन 2008 मा प्रेम लाल भट्ट जी स्व. सुदामा प्रसाद प्रेमी जी दगड़ा गढ़वाळि साहित्या वास्ता " साहित्य अकादमी " पुरस्कार से सम्मानित ह्वे छा।

वूं कि "बिडंबना" रचना भौत प्रसिद्ध च, ज्वा गढ़वाळि कि उत्कृष्ट कवितों मा शामिल च--

" कैन बोलि या रिसी मुन्यूं की
द्यौ अर द्यब्तौं की धरती च
तुम्हीं बता क्या रूखा माटा मा फसल प्यार की उग सकणी च ?
जख भुम्याळ भूखा मौन्ना छन
मेघ तिस्वाळा ही घुमणा छन
रक्षपाल रक्षा का बाना
त्राहि त्राहि ही सब कन्ना छन
वख बल कबि द्यवता रहेंदा छा
बात क्या या तुम तैं खपणी च ?
तुम्हीं बता क्या रूखा माटा मा फसल प्यार की उग सकणी च ?
देव बाला छन भूखा पेट जू
घास का फंची सान्नी सन्नी छन
सोळ हाथ का पाठगौं से जू
ज्वान्नि कि ल्हास ल्हसोण्णी छन
एक मील से रिसि कन्या क्वी
डिब्लु पाणि कू ल्है सकणी च ?
तुम्हीं बता क्या रूखा माटा मा फसल प्यार की उग सकणी च ?"
भगवान वूं कि आत्मा तैं शांति दियां, अपणा श्री चरणों मा जगा दियां अर वूंकि सैर्या कुटुमदरि तैं ये दुख तैं सैणै सक्या दिंया। महान साहित्यकार " स्व.श्री प्रेमलाल भट्ट " जी तैं विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शान्ति 
                                  संदीप रावत 
                            न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल। 
                                    
                           स्व.श्री प्रेमलाल भट्ट जी 

                                   

Saturday, December 5, 2020

"श्रीनगर गढ़वाल का गढ़वाळि साहित्यकार अर रंगकर्मी श्री राजीव कगड़ियाल जी को स्वर्गवास "


श्रीनगर : 05/12/2020: एक हौरि दुखद घटना -

"श्रीनगर गढ़वाल का गढ़वाळि साहित्यकार अर रंगकर्मी श्री राजीव कगड़ियाल जी को स्वर्गवास "
     बड़ा दुखै बात च कि - श्रीनगर गढ़वाल का गढ़वाळि साहित्यकार अर रंगकर्मी श्री राजीव कगड़ियाल जी अगास ह्वे ग्येनि। यानि अब वु हमारा बीच नि रैनि। कुछ दिनों बटि वू कि तबियत खराब छै । परसि रात 03 दिसम्बर 2020 खुणी वूं को स्वर्गवास ह्वे ग्ये।
       वु एक गढ़वाळी कवि होणा दगड़ा रंगकर्मी अर हास्य कलाकार बि छायि। वु यख यूनिवर्सिटी मा नौकरी करदा छा अर कतगै पिक्चरों मा वूंन हास्य कलाकारै रूप मा काम करी छौ। भग्यान राजीव कगड़ियाल जी का द्वी गढ़वाळि काव्य संग्रै "उमाळ " अर "कुतग्यळि " प्रकाशित छन।
सरल स्वभौ वळा अर हँसमुख राजीव कगड़ियाल जी कि याद सदानि आणी रालि। 
   भगवान वूं कि आत्मा तैं शांति दियां अर वूंकि सैर्या कुटुमदरि तैं ये दुख तैं सैणै सक्या दिंया। "आखर" समिति अर मेरी तर्फां बटि राजीव कगड़ियाल " रांकु "जी तैं विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शान्ति
                                   संदीप रावत 
                         न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल।