मेरी प्रकाशित पुस्तकें :-


(1) एक लपाग ( गढ़वाली कविता-गीत संग्रह)- समय साक्ष्य, (2) गढ़वाळि भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा (गढ़वाली भाषा साहित्य का ऐतिहासिक क्रम )-संदर्भ एवं शोधपरक पुस्तक - विन्सर प्रकाशन, (3) लोक का बाना (गढ़वाली आलेख संग्रह )- समय साक्ष्य, (4) उदरोळ ( गढ़वाली कथा संग्रह )- उत्कर्ष प्रकाशन ,मेरठ


Monday, July 29, 2019

गढ़वाली कविता - पहाड़ -1 ( ©संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल)

              " पहाड़ "

पहाड़ रड़णा छन
लोग उंदू सरकणा छन
जो छन यख
वू पाणी को तरसणा छन,
नीस घाट्यों मा
ब्वगणी छ गंगा
पर! पाणी-पाणी सारि-सारि कि
यख मुण्डळी खुर्स्येणी छन |
              © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |

गढ़वाली सरस्वती वंदना.."तेरु ही शुभाशीष च "के बारे में

https://youtu.be/bln8Zw25B30

Garhwali Kavita | भली छ्वीं बत | संदीप रावत | उत्तराखण्ड |

Garhwali Kavita 33 | जुगराज रयां | संदीप रावत |

सरस्वती वंदना | Saraswati Vandana | संदीप रावत | श्रीनगर (गढ़वाल) |

Garhwali Kavita 83 | तू हिटदी जा | संदीप रावत | उत्तराखंड |


Garhwali Kavita 66 | श्रीदेव सुमन महान | संदीप रावत |

Tuesday, July 23, 2019

गढ़वाली रचना - जिन्दगी ( संदीप रावत ,न्यू डांग श्रीनगर गढ़वाल)

                 " जिन्दगी "

भैर -भितर आन्दा-जान्दा
सांस छ जिन्दगी
चार दु:ख चार सुख
संग्ति आस जिन्दगी
मुठ्ठयों पर थूक लगैकि
अटगदी रान्द जिन्दगी
झूठी गाणि स्याण्यों मा
भटगदी रान्द जिन्दगी
खैंची ताणि लगीं रान्द
हरदि नि छ जिन्दगी
माटी बणी माटि मा हि
मिली जान्द जिन्दगी  |
      © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |
           ( 'एक लपाग ' पुस्तक से )

Thursday, July 4, 2019

गढ़वाली साहित्य,गढ़वाली कविता - विकास © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |

                        * विकास *

बल !
बड़ा- बड़ा प्वटगा वळा
गरीबूं का हिस्सा मा बि
अपणू हिस्सा छन खुज्याणा ,
अर !
विकास का नौ पर
छूड़ी गलत काम तैं बि
सही छन बताणा |
द बोला !
स्यू सब्या -सब्बि
तै विकास तैं कांधिम धैरिक
झणि कख होला दनकाणा ?
अर !
अपणा कर्मों का
डूण्डा हथ्यूं तैं
झणि कख होला लुकाणा ?
                     © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |