*सळ्ळि - सयाणा *
" बल,  बगच्छट बण्या
 सळ्ळि सयाणा 
त्रिभुज- चतुर्भुज बणैकि 
फिर झट्ट एक ह्वे जाणा 
अर! वख तक पौंछणा खुणी
तीड़- तिकड़म भिड़ाणा 
भैर - भैर द्विफंडी- तिफंडी 
अर! भितरै - भितर 
एक गौळा पाणि ह्वे जाणा |" 
                  © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल
  
 
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