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Thursday, August 1, 2019

गढ़वाली कविता - "सळ्ळि -सयाणा " ©संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल

        *सळ्ळि - सयाणा *

" बल,  बगच्छट बण्या
सळ्ळि सयाणा
त्रिभुज- चतुर्भुज बणैकि
फिर झट्ट एक ह्वे जाणा
अर! वख तक पौंछणा खुणी
तीड़- तिकड़म भिड़ाणा
भैर - भैर द्विफंडी- तिफंडी
अर! भितरै - भितर
एक गौळा पाणि ह्वे जाणा |"
                  © संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल
 

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