* जिन्दगी का पन्ना *
जब खुल्दन कैsकी
जिन्दगी का पन्ना
किताबि का जन्ना
त ! यां का भित्र छुप्यां होंदन
राज कन-कन्ना ,
कैsका त भ्वरे जांदिन
अर ! कैका क्वारा हि रै जांदिन
जिन्दगी का पन्ना |
© संदीप रावत ,न्यू डांग ,श्रीनगर गढ़वाल |
( ' एक लपाग ' बटि )
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